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कश्मीर में स्कूल प्रिंसिपल द्वारा मांगी गई माफी के बाद भी अबाया की आग नहीं पड़ी ठंडी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 9, 2023 17:39 IST

माफी मांगते हुए प्रिंसिपल ने कहा कि छात्राओं को कहा गया था कि वे घर से स्कूल तक अबाया पहन सकती हैं, लेकिन स्कूल परिसर में उन्हें अबाया उतारना होगा। 

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ठळक मुद्देभड़के विवाद पर राजनीतिक, धार्मिक या समाजिक दल ही नहीं आतंकी दल भी अब कूद पड़े हैंस्कूल प्रिंसिपल द्वारा छात्राओं को कहा गया था कि वे घर से स्कूल तक अबाया पहन सकती हैंलेकिन स्कूल परिसर में उन्हें इसे उतारना होगा

जम्मू: श्रीनगर के रैनावाड़ी स्थित विश्वभारती गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल मेमरोज शफी द्वारा अबया मामले पर माफी मांग लिए जाने के बाद भी मुद्दे पर भड़की आग ठंडी नहीं पड़ी है। इसमें सिर्फ राजनीतिक, धार्मिक या समाजिक दल ही नहीं आतंकी दल भी अब कूद पड़े हैं। मामले पर माफी मांगते हुए प्रिंसिपल ने कहा कि छात्राओं को कहा गया था कि वे घर से स्कूल तक अबाया पहन सकती हैं, लेकिन स्कूल परिसर में उन्हें अबाया उतारना होगा। 

उन्होंने कहा कि हमने उन्हें लंबा सफेद रंग का हिजाब पहनने या बड़ा दुपट्टा रखने के लिए कहा था, क्योंकि यह स्कूल की वर्दी का हिस्सा है। वे अलग अलग डिजाइन वाले रंगीन अबाया पहनकर आ गईं जो स्कूल की वर्दी का हिस्सा नहीं है। प्रिंसिपल का कहना था कि इसके अलावा इनसे कहा गया था कि अगर वह सफेद हिजाब या बुर्का नहीं पहनना चाहती तो जिस भी रंग का हिजाब पहनें उसके नीचे स्कूल की वर्दी जरुर होनी चाहिए। अगर इससे किसी को ठेस पहुंची है तो उसके लिए हम माफी चाहते हैं।

इस मामले पर अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यह संविधान की तरफ से पूरी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करना है। मुफ्ती ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि क्या पहनना है और क्या नहीं, यह तय करना हमारा निजी अधिकार है। हमें ऐसा कुछ भी करने के लिए मजबूर न करें जो हमारे धर्म के खिलाफ हो। यह हमारा संवैधानिक अधिकार है कि हम क्या पहनें या क्या खाएं।

जानकारी के लिए अबाया उत्तरी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप में इस्लामी प्रभाव वाले इलाकों में कुछ महिलाओं द्वारा पहना जाता है। पारंपरिक अबाया काले होते हैं। लबादे की तरह इस पोशाक से चेहरे, पैर और हाथ को छोड़कर पूरे शरीर को ढंका जाता है।

कल इस मामले पर विश्वभारती हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्राओं ने स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन किया था, उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें अबाया पहनकर आने पर स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया। उन्हें स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा था कि वे अबाया पहन सकती हैं लेकिन स्कूल परिसर में इसे उतार देना चाहिए।

नतीजतन स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्राओं को सिर्फ स्कूल की वर्दी के रंग के मुताबिक सफेद अबैया पहनने का आग्रह कश्मीर में राजनीतिक- धार्मिक विवाद का मुद्दा बन गया है। राजनीतिक दलों ने इसे जहां मजहबी मामलों में हस्ताक्षेप और मुस्लिमों के प्रति आघात बताना शुरु कर दिया है, वहीं आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट टीआरएफ ने संबधित स्कूल की प्रिंसिपल को मौत के घाट उतारने की धमकी दे दी।

इस संबंध में प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री अशोक कौल ने कहा कि कौन क्या पहने और क्या न पहने, यह किसी दूसरे के द्वारा नहीं बल्कि किसी व्यक्ति का निजी ही फैसला होना चाहिए। स्कूल प्रिंसिपल ने भी विवाद को अनावश्यक बताते हुए कहा कि किसी को भी अबैया पहनने से मना नहीं किया गया है बल्कि इतना कहा गया कि अबैया सादा और एक स्कूल की वर्दी के रंग के मुताबिक सफेद होना चाहिए।

पर अब आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट टीआरएफ भी इस मामले में शाामिल हो गया है। उसने हिजाब के लिए छात्राओं के प्रदर्शन को सही ठहराते हुए कहा कि भारत सरकार जम्मू कश्मीर विशेषकर कश्मीर का भगवाकरण करना चाहती है। उसने विश्व भारती स्कूल को आरएसएस का एक संस्थान बताते हुए कहा कि इस स्कूल मे या फिर अमीराकदल गर्ल्ज हायर सैकेंडरी में जो हुआ है, वह यहां हिंदुत्व की विचारधारा को लागू करने का संकेत है। 

टॅग्स :जम्मू कश्मीरKashmir Police
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