काशी गलियारा : परियोजना के कारण अपना घर खोने, ऐतिहासिक इमारतें ढहाए जाने से कुछ स्थानीय लोग नाखुश

By भाषा | Published: December 15, 2021 03:35 PM2021-12-15T15:35:37+5:302021-12-15T15:35:37+5:30

Kashi Corridor: Some locals unhappy with the project losing their homes, demolition of historic buildings | काशी गलियारा : परियोजना के कारण अपना घर खोने, ऐतिहासिक इमारतें ढहाए जाने से कुछ स्थानीय लोग नाखुश

काशी गलियारा : परियोजना के कारण अपना घर खोने, ऐतिहासिक इमारतें ढहाए जाने से कुछ स्थानीय लोग नाखुश

(कुणाल दत्त)

वाराणसी, 15 दिसंबर वाराणसी निवासी प्रभात सिंह ने अपने एक सदी से अधिक पुराने मकान की तस्वीरें मोबाइल फोन में सुरक्षित रखी हैं, संयुक्त परिवार से आने वाले सिंह का यह मकान काशी विश्वनाथ गलियारा परियोजना के लिए अधिग्रहित कर ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि ये तस्वीरें उनके “खत्म हो चुके घर” की एकमात्र यादें हैं।

सिंह और महत्वाकांक्षी परियोजना के कारण विस्थापित हुए कई अन्य लोग सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन किये जाने के समय इतने उत्साहित नहीं थे। सिंह ने कहा, ‘‘हम संयुक्त परिवार के रूप में रहते थे। हमारी संपत्ति को गलियारे के लिए अधिग्रहण कर लिया गया। अब, हम बनारस में अलग-अलग जगहों पर रहते हैं। इससे न केवल हमारी सदियों पुरानी पारिवारिक संपत्ति नष्ट हो गई, बल्कि हमारा संयुक्त परिवार भी बिखर गया।’’

सोमवार को मंदिर परिसर में भव्य उद्घाटन समारोह के आयोजन के दौरान सिंह ऐतिहासिक मणिकर्णिका घाट की ओर जाने वाली गली में एक पत्थर की बेंच पर अकेले बैठे थे। कभी वह अपने स्मार्टफोन पर कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखते तो कभी दूसरे कार्यक्रम को देखने लगते या अपने हैंडसेट को एक तरफ रख देते थे।

सिंह ने कहा, ‘‘इसे ‘दिव्य काशी, भव्य काशी’ उत्सव कहा जा रहा है। हम सभी बाबा काशी विश्वनाथ का सम्मान करते हैं और उन्हें नमन करते हैं, लेकिन हम जैसे परिवारों के लिए यह कार्यक्रम उन अप्रिय यादों, तोड़फोड़ की याद दिला रहा है... कई बातें याद आ रही है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘हमने अपनी संपत्ति बचाने की भरपूर कोशिश की, सरकारी अधिकारियों से मिलकर बात की। लेकिन हम कुछ नहीं कर पाए। इस साल की शुरुआत में हमारी संपत्ति ले लिए जाने से पहले हमने अपने मंदिर से देवी-देवताओं की मूर्तियों को हटा लिया।’’

महत्वाकांक्षी परियोजना की आधारशिला आठ मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री ने रखी थी, 2014 से वाराणसी मोदी का संसदीय क्षेत्र है।

शहर के एक अन्य निवासी ओंकार दीक्षित (37), जो अपने दादा द्वारा शुरू की गई एक इत्र की दुकान चलाते हैं, ने कहा कि उन्होंने भी पुनर्विकास परियोजना के लिए लकड़ी से बनी अपनी दुकान खो दी।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दादाजी ने पहले कन्नौज में दुकान शुरू की थी और फिर इसे सरस्वती फाटक क्षेत्र की एक इमारत में शुरू किया, जो काशी गलियारा परियोजना की भेंट चढ़ गई। परियोजना की घोषणा से पहले हम अपनी दुकान एक बार उसी क्षेत्र में पहले ही स्थानांतरित कर चुके थे इसके बाद हम विस्थापित हो गए। अब हम इसे दूसरी लेन में चला रहे हैं।’’

परियोजना स्थल के पास एक गली में रहने वाले लालजी यादव (72) ने भी आरोप लगाया कि विकास के नाम पर कई ऐतिहासिक भवनों पर बुलडोजर चला दिया गया। इनमें से कई संरचनाओं में शानदार नक्काशी की गई थी, जिन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए था। ‘‘विकास के लिए विरासत की आहुति दी गई है।’’

वाराणसी के संभागीय आयुक्त दीपक अग्रवाल ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि इस परियोजना ने संकरे क्षेत्र को कम कर मंदिर परिसर को विशाल कर दिया है, जो पहले तीन तरफ से इमारतों से घिरा हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में, काशी विश्वनाथ विशेष क्षेत्र विकास बोर्ड (केवीएसएडीबी) को परियोजना की योजना बनाने और निष्पादन का काम सौंपा गया था। इस परियोजना को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया गया था, जिसमें संपत्ति खाली करने से लेकर मालिकों को मुआवजा देना तक शामिल था।

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Web Title: Kashi Corridor: Some locals unhappy with the project losing their homes, demolition of historic buildings

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