Karnataka Temple: कर्नाटक के 500 से अधिक मंदिरों में भारतीय संस्कृति के अनुसार ‘ड्रेस कोड’ लागू करने का प्रस्ताव, बेंगलुरु के 50 मंदिर शामिल, देखें लिस्ट
By सतीश कुमार सिंह | Published: January 11, 2024 03:05 PM2024-01-11T15:05:19+5:302024-01-11T15:07:24+5:30
Karnataka Temple: ड्रेस कोड के अनुसार, पुरुषों को शॉर्ट्स, बरमूडा, फटी जींस, सीना दिखाने वाली टी-शर्ट पहनने की अनुमति नहीं है।
Karnataka Temple: कर्नाटक के हिन्दू मंदिर को लेकर ‘ड्रेस कोड’ लागू किया जा सकता है। बेंगलुरु में मंदिर प्रबंधन एक ड्रेस कोड लागू कर रहा है। अब भक्तों को केवल भारतीय पारंपरिक ड्रेस में ही मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी।
कर्नाटक देवस्थान महासंघ और हिंदू जनजागृति समिति इस संबंध में मंदिरों के सामने बोर्ड लगाएगी और बुधवार से इस संबंध में सख्त नियम लागू करने को कहा है। ड्रेस कोड के अनुसार, पुरुषों को शॉर्ट्स, बरमूडा, फटी जींस, सीना दिखाने वाली टी-शर्ट पहनने की अनुमति नहीं है। वहीं, महिलाओं को शॉर्ट्स, मिडी, फटी जींस में मंदिरों के अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी।
बेंगलुरु (#Bengaluru) में मंदिर प्रबंधन एक ड्रेस कोड लागू कर रहा है। अब भक्तों को केवल भारतीय पारंपरिक ड्रेस में ही मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी।
— IANS Hindi (@IANSKhabar) January 10, 2024
कर्नाटक (#Karnataka) देवस्थान महासंघ और हिंदू जनजागृति समिति इस संबंध में मंदिरों के सामने बोर्ड लगाएगी और बुधवार से इस… pic.twitter.com/0XdHNPrFvx
कर्नाटक में मंदिरों, मठों और धार्मिक संगठनों के एक समूह ने राज्य के 500 से अधिक मंदिरों में भारतीय संस्कृति के अनुसार ‘ड्रेस कोड’ लागू करने का प्रस्ताव किया है। इनमें बेंगलुरु के 50 मंदिर शामिल हैं। समूह ने बंदोबस्ती विभाग के नियंत्रण वाले मंदिरों में ‘ड्रेस कोड’ लागू करने के लिए राज्य के हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री रामलिंगा रेड्डी से अपील करने का फैसला किया है।
कर्नाटक देवस्थान-मठ मट्टू धार्मिक संस्थान महासंघ' के संयोजक मोहन गौड़ा ने एक बयान कहा, ''आज, जब मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया है, तो कुछ प्रगतिशील, तर्कवादी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थक शोर कर रहे हैं; लेकिन उन्हें सफेद पतलून पहनने वाले पादरियों, पाजामा पहनने वाले मौलवियों या काला नकाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं के कपड़ों पर कोई आपत्ति नहीं है। ’’
गौड़ा ने कहा, ‘‘ ढीले कपड़ों या गैर-पारंपरिक वस्त्रों में भगवान के दर्शन के लिए मंदिर जाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हो सकती है। हर किसी को घर पर और सार्वजनिक रूप से क्या पहनना है, इसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता है; लेकिन मंदिर एक धार्मिक स्थान है।
हर किसी को इसके अनुरुप आचरण करना चाहिए। मंदिर परिसर में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं बल्कि धर्म का पालन करना महत्वपूर्ण है।'' उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी कपड़ों की तुलना में भारतीय कपड़े आध्यात्मिक रूप से अधिक शुद्ध और शालीन होते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में 'आध्यात्मिक रूप से ड्रेस कोड' कई साल से लागू हैं जिनमें 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, वाराणसी का काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर, केरल में पद्मनाभस्वामी मंदिर और तमिलनाडु में कन्याकुमारी में माता मंदिर शामिल हैं।