कर्नाटक सियासी संकटः फ्लोर टेस्ट से पहले BJP ने विधायकों को होटल में बुलाया, बैठक कर बनाई नई रणनीति
By रामदीप मिश्रा | Published: July 21, 2019 07:21 PM2019-07-21T19:21:33+5:302019-07-21T19:24:51+5:30
मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई समयसीमा की शुक्रवार को दो बार अनदेखा किया और विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के बिना ही कनार्टक विधानसभा सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
कर्नाटक का सियासी संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेशाध्यक्ष बीएस येदयुरप्पा ने रविवार शाम को पार्टी के सभी विधायकों को एकत्रित किया है और उनके साथ बेंगलुरु के रमाडा होटल में बैठक की है। पार्टी सोमवार को विधानसभा में होने वाले विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान को लेकर रणनीति बनाने में जुटी हुई है। इसके अलावा येदयुरप्पा ने सोमवार सुबह फिर से बैठक करने के लिए कहा है।
दरअसल, मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई समयसीमा की शुक्रवार को दो बार अनदेखा किया और विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के बिना ही कनार्टक विधानसभा सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। अब कहा जा रहा है कि कल विधानसभा में कर्नाटक सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करना होगा।
सदन को स्थगित करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने स्पष्ट कर दिया था कि सोमवार को विश्वास प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा और इसे अन्य किसी भी परिस्थिति में आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। इस पर सरकार सहमत हो गई थी।
Karnataka: BJP Legislative Party meeting underway at Ramada Hotel in Bengaluru. pic.twitter.com/YPvansUjC4
— ANI (@ANI) July 21, 2019
कुमारस्वामी और कांग्रेस ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि राज्यपाल सदन की कार्यवाही में हस्तक्षेप कर रहे हैं जब सदन में विश्वास मत पर चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री ने न्यायालय से उसके 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण देने का अनुरोध किया था जिसमें कहा गया था कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है।
हालांकि विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने कांग्रेस-जद(एस) सरकार के राज्यपाल वजु भाई वाला द्वारा तय की गई दो समय सीमाओं को पूरा ना कर पाने पर सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया था। अब सभी निगाहें राज्यपाल वजुभाई वाला के अगले कदम पर हैं।
बता दें कि सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों- 13 कांग्रेस और तीन जद(एस)- के इस्तीफा देने और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने से प्रदेश सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। एक कांग्रेसी विधायक रामलिंगा रेड्डी ने हालांकि पलटी मारते हुए कहा कि वह सरकार का समर्थन देंगे।