कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैसूर साबुन घोटाला केस की सुनवाई करते हुए कहा, ‘मुकदमा तो रिश्वत देने वालों पर भी चलना चाहिए’

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 29, 2023 12:41 PM2023-06-29T12:41:02+5:302023-06-29T12:47:44+5:30

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैसूर चंदन साबुन घोटाला मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस केस में जिन लोगों ने कथित रूप से रिश्वत दिया है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। 

Karnataka High Court, while hearing the Mysore soap scam case, said, 'The bribe giver should also be prosecuted' | कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैसूर साबुन घोटाला केस की सुनवाई करते हुए कहा, ‘मुकदमा तो रिश्वत देने वालों पर भी चलना चाहिए’

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैसूर साबुन घोटाला केस की सुनवाई करते हुए कहा, ‘मुकदमा तो रिश्वत देने वालों पर भी चलना चाहिए’

Highlightsकर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि अब रिश्वत लेने वालों के साथ देने वालों को भी सजा मिलनी चाहिएरिश्वत देने वाले भी भ्रष्टाचार के फैल रहे खतरे को बढ़ाने में बराबर के जिम्मेदार माने जाने चाहिएहाईकोर्ट ने इसी तीखी टिप्पणी के साथ रिश्वत देने वालों की दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैसूर चंदन साबुन घोटाला मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस केस में जिन लोगों ने कथित रूप से रिश्वत दिया है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश रिश्वत देने वालों की ओर से दायर की गई दो याचिकाओं को खारिज करते हुए सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि रिश्वत लेने वालों की तरह रिश्वत देने वाले को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर भ्रष्टाचार के इस फैल रहे खतरे का खात्मा किया जाए। 

इस संबंध में जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने 26 जून के अपने फैसले में कर्नाटक अरोमास कंपनी के मालिकों कैलाश एस राज, विनय एस राज और चेतन मारलेचा की याचिका और अल्बर्ट निकोलस एवं गंगाधर की ओर सेदायर एक अन्य याचिका को इस कड़ी टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया।

दरअसल इस केस में बेंगलुरु वॉटर सप्लाई एंड सिवेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) के तत्कालीन वित्त सलाहकार और मुख्य लेखा नियंत्रक प्रशांत कुमार एमवी के कार्यालय में कथित रिश्वत के 45-45 लाख रुपये मिले थे। प्रशांत भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन विधायक और मैसूर चंदन साबुन के निर्माता कर्नाटक साबुन एवं डिटर्जेंट लिमिटेड के अध्यक्ष एम विरुपक्षप्पा के बेटे हैं।

पूर्व भाजपा विधायक विरुपक्षप्पा के खिलाफ शिकायत के बाद लोकायुक्त पुलिस ने उनके बेटे प्रशांत के दफ्तर पर छापा मारा। अल्बर्ट निकोलस और गंगाधर को प्रशांत के कार्यालय में नकदी ले जाते हुए पाया गया। इस संबंध में दर्ज एक अलग शिकायत में इन दोनों के साथ-साथ कर्नाटक अरोमास कंपनी के तीन मालिकों को आरोपी बनाया गया है।

यह वह मामला है, जिसे उन पांचों ने दो अलग-अलग याचिकाओं में चुनौती दी थी। दावा किया जा रहा है कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा जब्त की गई रकम कथित तौर पर वो रिश्वत थी, जो विरुपक्षप्पा को उनके बेटे प्रशांत के जरिए दी गई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान मामला रद्द करने की उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘जब कानून आपको भ्रष्ट लोगों से नहीं, बल्कि भ्रष्ट लोगों को आपसे बचाता है तो जान जाइए कि देश बर्बाद हो गया है।’’

इस बेहद प्रतिकूल टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच जरूरी है कि पकड़े गये दोनों आरोपी नकदी क्यों ले जा रहे थे। अदालत ने कहा, ‘‘सवाल ये है कि वे आरोपी नंबर एक, जो एक लोक सेवक है। किसी के निजी कार्यालय में क्यों बैठे थे। आखिर वे बैग में 45-45 लाख रुपये की नकदी लेकर आरोपी नंबर एक का इंतजार क्यों कर रहे थे, यह बेहद गंभीर जांच का विषय है।’’

Web Title: Karnataka High Court, while hearing the Mysore soap scam case, said, 'The bribe giver should also be prosecuted'

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