कर्नाटक हाईकोर्ट ने केस में सहयोग न करने के लिए फेसबुक को लगाई फटकार, कहा- 'भारत में बैन कर देंगे'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 15, 2023 08:21 AM2023-06-15T08:21:10+5:302023-06-15T08:36:36+5:30
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान फेसबुक को चेतावनी दी कि अगर वो संबंधित केस में भारतीय एजेंसियों को सहयोग नहीं करती है तो कोर्ट भारत में उसके ऑपरेशन को बैन करने का आदेश दे सकती है।
बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को फेसबुक को चेतावनी दी कि वह सऊदी अरब में कैद एक भारतीय नागरिक के मामले की जांच में राज्य पुलिस के साथ कथित असहयोग करेगा तो भारत में उसकी गतिविधियों को बंद करने का आदेश दे सकती है।
न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की सिंगल बेंच ने दक्षिण कन्नड़ जिले में मंगलुरु के निकट बिकर्णकट्टे की निवासी कविता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह चेतावनी दी।
हाईकोर्ट की बेंच ने फेसबुक को आदेश दिया कि वो अदालत के समक्ष संबंधित केस की सभी आवश्यक जानकारी के साथ पूरी रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर पेश करे।''
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह बेहद दुख की बात है कि केंद्र सरकार को यह जानकारी देनी चाहिए कि एक झूठे मामले में भारतीय नागरिक की सऊदी अरब में हुई गिरफ्तारी के मामले में क्या कार्रवाई शुरू की गई है। अदालत ने सुनवाई 22 जून तक स्थगित करते हुए कहा कि मंगलुरु पुलिस को भी केस में उचित जांच करनी है और एक रिपोर्ट अपनी ओर से पेश करनी है।
केस की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कविता ने अपनी दलील में कहा कि उनके 52 साल के पति शैलेश कुमार ने 25 सालों तक सऊदी अरब में रहते हुए एक कंपनी के साथ काम किया, जबकि वह अपने बच्चों के साथ भारत में अपने पैतृक स्थान पर रहती थीं।
कविता ने कोर्ट से कहा कि साल 2019 में उसके पति ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के समर्थन में फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी, लेकिन किसी अज्ञात ने उसके पति के नाम से एक फर्जी फेसबुक अकाउंट खोला और उस फेसबुक के जरिये सऊदी के किंग के साथ-साथ इस्लाम के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट किया गया।
इस मामले की जानकारी जैसे रही उनके पति शैलेश को हुई, उन्होंने फौरन भारत में परिजनों को सूचित कर दिया था और कविता से कहा कि वो इस संबंध में मेंगलुरु में पुलिस में शिकायत दर्ज कराए। हालांकि इस बीच सऊदी पुलिस ने शैलेश कुमार को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।
केस के संबंध में जांच करते हुए मेंगलुरु पुलिस ने फेसबुक को पत्र लिखकर फर्जी फेसबुक अकाउंट खोले जाने की जानकारी मांगी थी। लेकिन फेसबुक ने पुलिस को कोई जवाब नहीं दिया था। इसके बाद साल 2021 में याचिकाकर्ता कविता ने पुलिस जांच में हो रही देरी पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।