कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, बलात्कार तो बलात्कार है फिर चाहे पति ही क्यों न करें
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 23, 2022 21:15 IST2022-03-23T21:08:33+5:302022-03-23T21:15:43+5:30
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि यदि बलात्कार किसी पुरुष के लिए दंडनीय है, तो फिर यह उस पति के लिए भी दंडनीय होना चाहिए, जो बिना सहमति के पत्नी पर यौन हमला करता है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, बलात्कार तो बलात्कार है फिर चाहे पति ही क्यों न करें
बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बलात्कार तो बलात्कार है फिर चाहे वो पति द्वारा ही क्यों न किया गया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि विवाह कोई बलात्कार करने का लाइसेंस नहीं है कि पति जब चाहे अपनी इच्छानुसार पत्नी के बलपूर्वक किसी क्रूर जानवर की तरह सहवास करे।
कोर्ट ने कहा कि यदि बलात्कार किसी पुरुष के लिए दंडनीय है, तो फिर यह उस पति के लिए भी दंडनीय होना चाहिए, जो बिना सहमति के पत्नी पर यौन हमला करता है।
बेंच ने मामले की सुनवाई में कहा कि एक पुरुष जो केवल अपनी इच्छा को बलवति करते हुए किसी महिला का बलात्कार करता है, वह भारतीय दंड विधान की धारा 376 के तहत दंडनीय है।
यदि पुरुष पीड़ित महिला का पति है और वह उसे खुद के लिए छूट मानकर करता है तो मेरे विचार से इस तरह के तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। एक आदमी एक आदमी है, एक कृत्य एक कृत्य है और रेपरेप है, फिर चाहे वह एक पुरुष द्वारा महिला पर किया गया हो, या पति द्वारा पत्नी पर ही क्यों न हो।
हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि "सालों पुरानी सोच और परंपरा कि पति अपनी पत्नियों के शासक होते हैं, उनके शरीर के, मन के और आत्मा के, इससे उन पत्नियों की अपनी कोई पहचान नहीं बचती है। इस पुरानी सोच और धारणा के कारण ही देश में बलात्कार जैसे मामले बढ़ रहे हैं।
विवाह की संस्था कोई विशेषाधिकार नहीं देती कि पुरुष क्रूर जानवर की तरह उनमुक्त व्यवहार करे और अपनी पत्नी की मर्यादा और इज्जत को अपनी इच्छाओं तले कुचलता रहे।
वैवाहिक बलात्कार के इसी तरह के एक अन्य मामले में कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि अन्य बातों के अलावा दहेज उत्पीड़न से संबंधित आईपीसी की धारा 498 का दुरुपयोग और पत्नी द्वारा सहमति वापस लेने पर सत्यापित करने के लिए तंत्र की कमी है। जिन चिंताओं के कारण भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए और इस मुद्दे पर अन्य देशों का आंख बंद करके अनुसरण नहीं करना चाहिए।
भारतीय दंड विधान की धारा 375 (बलात्कार) के तहत व्यक्ति द्वारा उसकी पत्नी के साथ शारीरिक संबंधों को बलात्कार के अपराध से छूट देता है, बशर्ते पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक हो।