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कर्नाटक की कांग्रेस-JDS गठबंधन सरकार गिरी, 23 दिन से चले रहे सियासी ड्रामे का पढ़ें पूरा घटनाक्रम

By भाषा | Updated: July 23, 2019 22:07 IST

कांग्रेस-जेडीएस सरकार का बहुमत परीक्षण में फेल हो गए। कर्नाटक में कुमारस्वामी विश्वासमत हासिल करने में विफल रह गए। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा कि विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में 99 मत पड़े, जबकि इसके खिलाफ 105 वोट डाले गए।

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ठळक मुद्देकांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा है, मैं फिर से कहना चाहूंगा कि जो लोग 'ऑपरेशन कमल' में शामिल हुए हैं, उन्हें दोबारा हमारी पार्टी में कभी शामिल नहीं किया जाएगा। चाहे आसमान ही क्यों ना गिर पड़े।राज्य के नेताओं की माने तो कुमारस्वामी के भाई एचडी रेवन्ना ज्योतिषों की सलाह के अनुसार ही काम कर रहे थे।

कर्नाटक में 15 दिन से चले आ रहे नाटक का अंत हो गया। कर्नाटक में चल रहे सियासी ड्रामे का पटाक्षेप हो गया। कांग्रेस-जेडीएस सरकार का बहुमत परीक्षण में फेल हो गए। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा कि विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में 99 मत पड़े, जबकि इसके खिलाफ 105 वोट डाले गए। कर्नाटक में राजनीतिक संकट और फिर अंतत: जदएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के गिरने से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है:

एक जुलाई: विजयनगर के विधायक आनंद सिंह ने औने-पौने दाम पर 3,667 एकड़ जमीन जेएसडब्ल्यू स्टील को बेचने को लेकर अपनी नाखुशी प्रकट करते हुए विधानसभा से इस्तीफा दिया।

22 जुलाई : कांग्रेस के नौ और जदएस के तीन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में उनकी गैर हाजिरी में इस्तीफा सौंपा।

सात जुलाई : मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी अमेरिका यात्रा से लौटे।

आठ जुलाई: सभी मंत्रियों ने बागियों को शांत/संतुष्ट करने के वास्ते उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के लिए अपने अपने पार्टी नेताओं को इस्तीफा दिया। दो निर्दलीय विधायकों-- एच नागेश और आर शंकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और सरकार से समर्थन वापस लिया। उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया।

नौ जुलाई: कांग्रेस ने पार्टी विधायक दल की बैठक बुलायी,20 विधायक नहीं पहुंचे। एक अन्य विधायक रौशन बेग ने विधानसभा से इस्तीफा दिया।

10 जुलाई: दो और कांग्रेस विधायकों-- एम टी बी नागराज और डॉ. के सुधाकर ने इस्तीफा दिया।

17 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में व्यवस्था दी कि 15 बागी विधायकों को वर्तमान विधानसभा सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

18 जुलाई: कुमारस्वामी ने विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।

19 जुलाई: राज्यपाल वजूभाई वाला ने शुक्रवार तक ही मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए दो समयसीमाएं तय कीं। कुमारस्वामी ने निर्देश का उल्लंघन किया।

22 जुलाई: विधानसभा तक स्थगित की गयी।

23 जुलाई: विश्वास प्रस्ताव गिरा। उसके पक्ष में 99 और विपक्ष में 105 वोट पड़े। 14 माह पुरानी सरकार गिरी।

 

टॅग्स :कर्नाटक सियासी संकटएचडी कुमारस्वामीबीएस येदियुरप्पासिद्धारमैया
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