कर्नाटक: एचडी कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल! मंत्री न बनाए जाने से नाराज विधायकों ने की अलग-अलग बैठक
By भाषा | Published: June 7, 2018 08:48 PM2018-06-07T20:48:30+5:302018-06-07T20:50:37+5:30
जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने 23 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ कांग्रेस के जी परमेश्वर ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी।
बेंगलुरु , सात जून (भाषा) एचडी कुमारस्वामी मंत्रिमंडल में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज कर्नाटक में कांग्रेस के कई विधायकों ने आज शहर में अलग-अलग बैठक की। ये बैठकें 15 दिन पुरानी कुमारस्वामी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के एक दिन बाद हुईं। मंत्री पद के लिये चली काफी खींचतान के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में कल 25 नये मंत्रियों को शामिल किया गया। इससे पहले कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री और कांग्रेस से जी परमेश्वर ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार में जगह नहीं मिलने से गठबंधन के कई विधायकों में असंतोष है। वहीं मंत्री पद की चाह रखने वाले कई विधायकों के समर्थकों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने पूर्ववर्ती सिद्धरमैया सरकार के कई महत्वपूर्ण सदस्यों एम बी पाटिल , दिनेश गुंडू राव , रामलिंगा रेड्डी , आर रोशन बेग , एच के पाटिल , तनवीर सैत , शामनुर शिवशंकरप्पा , सतीश जारकीहोली को मंत्री नहीं बनाया था।
एमबी पाटिल के आवास पर आज यहां हुई बैठक में असंतुष्ट विधायकों एमटीबी नागराज , सतीश जारकीहोली , सुधाकर और रोशन बेग ने हिस्सा लिया। बैठक से बाहर निकलने के बाद जारकीहोली ने कहा कि उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा की और यह सही है कि वे मंत्री पद नहीं मिलने से ‘ नाखुश ’ हैं।
जारकीहोली ने कहा , ‘ हमने इस बारे में चर्चा की कि सक्षम अभिलाषियों के बारे में प्रदेश और दिल्ली पार्टी नेतृत्व का ध्यान दिलाकर कैसे इसे ठीक किया जा सकता है। हमने कल भी इस बारे में चर्चा की थी -- आज भी हमने चर्चा की और हम फिर बैठक करेंगे।’’ हालांकि , इस घटनाक्रम के महत्व को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देने का प्रयास करते हुए एम बी पाटिल ने अपनी पार्टी के सहयोगियों के साथ बैठक के बारे में सनसनी फैलाने के लिये मीडिया को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि इसमें क्या गलत है।
उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वह मंत्री पद के आकांक्षी थे। उन्होंने कहा कि उनके लिये आत्मसम्मान से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है , लेकिन इसका मतलब पार्टी विरोधी होना नहीं है। उन्होंने कहा कि चर्चा पार्टी की भलाई के बारे में थी। यह पूछे जाने पर कि क्या वह दूसरे चरण के मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद के लिये सहमत होंगे तो पाटिल ने कहा , ‘‘ मैं दूसरे दर्जे का नागरिक नहीं हूं। मेरी अब कोई आकांक्षा नहीं है। ’’
पिछली सिद्धरमैया सरकार में प्रमुख चेहरा रहे पाटिल लिंगायतों के लिये धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा मांगने में अग्रणी थे। लिंगायत राज्य में सबसे बड़ा समुदाय है। दिलचस्प बात है कि अखिल भारत वीरशैव महासभा का चेहरा माने जाने वाले शमनूर शिवशंकरप्पा ने सिर्फ लिंगायतों के लिये धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जे का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि लिंगायत और वीरशैव एक ही हैं। उन्हें भी मंत्री नहीं बनाया गया है।
सूत्रों के अनुसार शिवशंकरप्पा ने भी नेताओं और करीबी विश्वासपात्रों के साथ चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि इसी तरह की एक बैठक पूर्व मंत्री एच के पाटिल के नेतृत्व में हुई और इसमें यशवंत राय गौडा पाटिल और एस आर पाटिल समेत अन्य ने हिस्सा लिया। एच के पाटिल ने दावा किया कि कई विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से और टेलीफोन पर भी उनसे चर्चा की है। पाटिल ने कहा , ‘‘ हम सोच रहे हैं कि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों को कैसे रोका जाए और इस संबंध में क्या कदम उठाए जाने चाहिये -- हम अपना अगला उठाएंगे। ’’ उन्होंने कहा कि पार्टी आला कमान को प्रदर्शन समेत सबकुछ पर विचार करते हुए उचित कदम उठाना चाहिये। उन्होंने पार्टी छोड़ने की संभावना से इंकार किया।
बेलगावी , हावेरी और चेल्लाकेरे समेत विभिन्न स्थानों से प्रदर्शन की खबर आई है। वहां क्रमश : जारकीहोली , बी सी पाटिल और टी रघुमूर्ति के समर्थकों ने अपने नेताओं के लिये मंत्री पद की मांग की। बैठक में विधायकों ने मंत्री पद नहीं मिलने के लिये पार्टी नेतृत्व और विशेष तौर पर कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर के प्रति नाखुशी जताई। कुमारस्वामी ने कल 25 मंत्रियों को शामिल करके 15 दिन पुराने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। इसमें कांग्रेस के 14, जद (एस) के नौ , बसपा के एक और केपीजेपी के एक विधायक ने मंत्री पद की शपथ ली थी।
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