कर्नाटक संकट: राज्यपाल पर विश्वासमत की कार्यवाही में दखल का आरोप, सीएम और कांग्रेस ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख

By भाषा | Published: July 20, 2019 05:00 AM2019-07-20T05:00:59+5:302019-07-20T05:00:59+5:30

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने विश्वास मत की प्रक्रिया पूरी करने के लिये राज्यपाल द्वारा एक के बाद एक समय सीमा निर्धारित करने पर सवाल उठाया है, तो राव ने कहा है कि शीर्ष न्यायालय ने कांग्रेस विधायक दल को शामिल किये बगैर ही आदेश पारित किया है जबकि विधान सभा में उसके 79 विधायक हैं। शीर्ष न्यायालय ने 17 जुलाई को बागी विधायकों की याचिका पर आदेश पारित किया था।

Karnataka CM and Congress reach top court against interference of governor proceedings | कर्नाटक संकट: राज्यपाल पर विश्वासमत की कार्यवाही में दखल का आरोप, सीएम और कांग्रेस ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी। (फाइल फोटो)

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और कांग्रेस, राज्यपाल वजुभाई वाला पर विधानसभा की विश्वासमत की कार्यवाही में दखल का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को शीर्ष न्यायालय पहुंचे। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से 17 जुलाई के आदेश पर भी स्पष्टीकरण की मांग की जो विधायकों को व्हिप जारी करने में अड़चन बन रहा है।

राज्यपाल द्वारा विश्वासमत की कार्यवाही के लिए निर्धारित की गई शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे की समयसीमा तक प्रक्रिया पूरी नहीं होने के बाद कुमारस्वामी और कर्नाटककांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने शीर्ष न्यायालय में अलग-अलग आवेदन दायर किया।

दोनों ही आवेदनों में शीर्ष न्यायालय के 17 जुलाई के आदेश, जिसमें 15 बागी कांग्रेस-जदएस विधायकों को राहत दी गई थी कि उन्हें विधानसभा के चालू सत्र में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, को लेकर भी स्पष्टीकरण का आग्रह किया गया है।

दोनों ने कहा है कि न्यायालय के आदेश ने अपने विधायकों को व्हिप जारी करने के राजनीतिक दल के अधिकार को कमजोर कर दिया है जबकि यह उनका संवैधानिक अधिकार है और अदालत उसे सीमित नहीं कर सकती है।

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने विश्वास मत की प्रक्रिया पूरी करने के लिये राज्यपाल द्वारा एक के बाद एक समय सीमा निर्धारित करने पर सवाल उठाया है, तो राव ने कहा है कि शीर्ष न्यायालय ने कांग्रेस विधायक दल को शामिल किये बगैर ही आदेश पारित किया है जबकि विधान सभा में उसके 79 विधायक हैं। शीर्ष न्यायालय ने 17 जुलाई को बागी विधायकों की याचिका पर आदेश पारित किया था।

याचिका में विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को प्रतिवादी बनाया गया था। दोनों आवेदन उस वक्त दायर किए गए जबकि विधानसभा में कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी।

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने अपने आवदेन में कहा है कि विश्वास प्रस्ताव पर बहस के तरीके को लेकर राज्यपाल सदन को निर्देशित नहीं कर सकते। इसमें उन्होंने कहा है कि राज्यपाल के निर्देश पूरी तरह से अदालत द्वारा राज्यपाल की शक्तियों के संबंध में निर्धारित कानून के विपरीत है।

राज्यपाल के निर्देश शीर्ष अदालत के पूर्व में दिए गए निर्णयों के विपरीत हैं। कांग्रेस ने अपने आवेदन में उस आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की है जिसमें कहा गया है कि 15 बागी विधायकों को राज्य विधान सभा के चालू सत्र में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता। इसमें कहा गया है कि यह पार्टी के व्हिप जारी करने के अधिकार के विपरीत है।

कांग्रेस के आवेदन में कहा गया है कि 17 जुलाई के आदेश के परिणामस्वरूप आवेदनकर्ता को दसवीं अनुसूची के तहत प्राप्त संवैधानिक अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित हुये हैं और इसीलिए यह आवेदन दाखिल किया गया है।’’ इसमें कहा गया है कि संविधान की दसवीं अनुसूची में राजनीतिक दल को अपने सदस्यों को व्हिप जारी करने का अधिकार है।

कुमार स्वामी ने भी यही आधार लिया है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस-जद (एस) के 15 विधायकों को विधान सभा के चालू सत्र की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा और उन्हें यह विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहते हैं या बाहर रहना चाहते हैं।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि विधान सभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार इन 15 विधायकों के इस्तीफों के बारे में उस समय सीमा के भीतर निर्णय लेंगे जो वह उचित समझते हों।

पीठ ने भी यह कहा था कि इन विधायकों के इस्तीफों के बारे में निर्णय लेने का विवेकाधिकार, न्यायालय के निर्देशों या टिप्पणियों से बाधक नहीं होना चाहिए और उन्हें इस मसले पर निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा था कि विधान सभा अध्यक्ष का निर्णय उसके समक्ष पेश किया जाये। 

Web Title: Karnataka CM and Congress reach top court against interference of governor proceedings

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