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येदियुरप्पा सरकार गठन मामला: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी- क्यों न कल ही करा दिया जाए बहुमत परीक्षण

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: May 18, 2018 11:19 IST

कर्नाटक विधान सभा चुनाव के नतीजे 15 मई को आए। राज्य की 224 विधान सभा सीटों में से 222 पर चुनाव हुए थे। बीजेपी ने 104, कांग्रेस ने 78 और जेडीेस ने 37 सीटों पर जीत हासिल की।

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नई दिल्ली, 18 मई। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा बीजेपी के सरकार बनाने का मौका दिये जाने पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि क्यों न कल (शनिवार) को ही बहुमत परीक्षण करा दिया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान बीजेपी की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस के कुछ असंतुष्ट विधायक बीजेपी सरकार को समर्थन दे सकते हैं। मुकुल रोहतगी के इस तर्क पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि दोनों पक्ष यहां मौजूद हैं तो क्यों न कल ही बहुमत परीक्षण करा लिया जाए। अभी सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस और जेडीएस के वकील अभिषक मनु सिंघवी की दलील सुन रहा है।

येदियुरप्पा ने गुरुवार (17 मई) को सुबह नौ बजे राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता देने के खिलाफ कांग्रेस और जनता दल (सेकुलर) बुधवार देर रात सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने आधी रात को मामले पर सुनवाई करते हुए शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बीएस येदियुरप्पा द्वारा राज्यपाल को 15 मई और 16 मई को सौंपे गये पत्र गुरुवार को सर्वोच्च अदालत में जमा करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार (18 मई) को नियत की थी। 

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कांग्रेस ने राज्यपाल वजुभाई द्वारा बीएस येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों की मोहलत दिए जाने पर भी सवाल उठाया है। राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय के विधायक को मनोनीत करने के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कर्नाटक विधान सभा में कुल 225 सीटें हैं जिनमें से 224 सीटों के लिए चुनाव होते हैं। एक सीट पर राज्यपाल एंग्लो-इंडियन समुदाय के किसी सदस्य को मनोनीत करते हैं।

12 मई को कर्नाटक की 222 विधान सभा सीटों के लिए मतदान हुआ था। 15 मई को आए नतीजों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस गठबंधन को 38 सीटों पर जीत मिली। एक सीट केपी जनता पार्टी और एक सीट निर्दलीय विधायक को मिली। कर्नाटक विधान सभा में बहुमत के लिए 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है।

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15 मई को दोपहर में जब ये साफ हो गया कि किसी भी दल को अकेले दम पर बहुमत नहीं मिल रहा है तो कांग्रेस ने अंतिम नतीजे आने से पहले ही जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा कर दी। कांग्रेस के विधायकों ने जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में लिखित समर्थन दिया। जेडीएस और कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल वजुभाई से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।

वहीं बीजेपी विधायक दल के नेता बीएस येदियुरप्पा ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल वजुभाई ने 16 मई देर शाम येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया। कर्नाटक की दो सीटों जयनगर और आरआर नगर पर चुनाव रद्द कर दिये गये थे। जय नगर सीट के बीजेपी प्रत्याशी के निधन के बाद चुनाव रद्द करना पड़ा। आरआर नगर सीट पर एक फ्लैट में 10 हजार जाली वोटर आईडी कार्ड मिलने की वजह से चुनाव आयोग ने मतदान रद्द कर दिया। इन दोनों सीटों पर 28 मई को मतदान होगा और नतीजे 31 मई को आएंगे। 

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मामले की सुनवाई जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एसके बोबड़े और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की यह दलील ठुकरा दी थी कि दलबदल कानून विधायकों द्वारा शपथ ग्रहण करने के बाद लागू होता है। कांग्रेस और जेडीएस की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि कांग्रेस-जेडीएस के पास बहुमत था फिर भी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया गया और इससे विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। सिंघवी ने सर्वोच्च अदालत से कहा कि येदियुरप्पा ने राज्यपाल से बहुमत साबित करने के लिए सात दिनों का वक्त माँगा था जबकि उन्हें 15 दिनों का समय दिया गया।

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