कर्नाटक में कांग्रेस के खेवनहार सिद्धारमैया, जिन्होंने तय किया चरवाहे से मुख्यमंत्री तक का सफर!

By आदित्य द्विवेदी | Published: April 5, 2018 07:58 AM2018-04-05T07:58:23+5:302018-04-05T07:58:23+5:30

सफेद कुर्ता, लुंगी और अंगवस्त्रम के पारंपरिक परिधान में दिखने वाले सिद्धारमैया का शुमार इस वक्त कर्नाटक की राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में है।

Karnataka Assembly Election 2018 Siddaramaiah Profile and Political career, All you need to know | कर्नाटक में कांग्रेस के खेवनहार सिद्धारमैया, जिन्होंने तय किया चरवाहे से मुख्यमंत्री तक का सफर!

कर्नाटक में कांग्रेस के खेवनहार सिद्धारमैया, जिन्होंने तय किया चरवाहे से मुख्यमंत्री तक का सफर!

साल 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव सिर पर थे। कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी सिद्धारमैया ने चुनाव प्रचार के दौरान एक घोषणा की- '2013 का चुनाव मेरे राजनीतिक करियर का अंतिम विधानसभा चुनाव होगा।' 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस ने 122 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया। 10 मई 2013 को सिद्धारमैया कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए।

साल 2018 के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। 2013 में अपने राजनीतिक करियर के आखरी विधानसभा चुनाव का ऐलान करने वाले सिद्धारमैया एकबार फिर से कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। मैसूर की चामुंडेश्वरी सीट से उनकी दावेदारी की खबरें आ रही हैं। वो कांग्रेस की मजबूरी हैं या मजबूती, जिसकी वजह से उन्हीं के सहारे कांग्रेस एकबार फिर अपनी नैया पार लगाना चाहती है। सफेद कुर्ता, लुंगी और अंगवस्त्रम के पारंपरिक परिधान में दिखने वाले सिद्धारमैया का शुमार इस वक्त कर्नाटक की राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में होता है।

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सिद्धारमैयाः चरवाहे से मुख्यमंत्री बनने का सफरनामा

'एक व्यक्ति जिसने गांव में जानवर चराए हों आज इस मुकाम पर है। मेरे लिए यही प्लस प्वाइंट है।' ये वक्तव्य सिद्धारमैया ने तब दिया था जब उन्हें पहली बार कांग्रेस पार्टी से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाया गया था। सिद्धारमैया कुरुबा जाति से ताल्लुक रखते हैं जिसकी सूबे में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। इसके बावजूद सिद्धारमैया खुद को कुरुबा नेता की बजाए 'पिछड़ों का नेता' कहलाना पसंद करते हैं।

सिद्धारमैया का जन्म कर्नाटक राज्य में मैसूर से 23 किमी दूर सिद्धारमनहुंडी गांव में हुआ था। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सिद्धारमैया के पिता ने बचपन में ही उन्हें मंदिर में भेज दिया था जहां वो हस्तकला सीखा करते थे। 10 साल की उम्र तक उन्होंने रेगुलर स्कूली शिक्षा हासिल नहीं की। देर से स्कूल जाने के बावजूद वो पढ़ाई में होनहार थे और उन्होंने राज्य की बोर्ड परीक्षा में टॉप किया। उन्होंने बीएससी और फिर वकालत की डिग्री भी हासिल की है। बाद में राम मनोहर लोहिया से प्रेरित होकर उन्होंने राजनीति करने का फैसला किया।

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सिद्धारमैया पिछले 35 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। 1983 में उन्होंने मैसूर की चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से पहली बार लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था। 35 साल बाद 2018 में भी उन्होंने चामुंडेश्वरी सीट से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस दौरान उनके राजनीतिक करियर ने कई उतार-चढ़ाव देखे। जेडी (एस) के इस समर्पित नेता को साल 2005 में पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की। बचपन में जानवार चराने वाला शख्स 10 मई 2013 को कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा।

 सिद्धारमैया ने पार्वती से शादी की है जो सार्वजनिक जगहों पर बहुत कम दिखाई देती हैं। उनके दो बेटे थे। साल 2016 में उनके एक बेटे की मौत हो गई जो पेशे से अभिनेता थे। दूसरा बेटे ने डॉक्टर की पढ़ाई की है। उम्मीद की जा रही है कि इसबार सिद्धारमैया के दूसरे बेटे चुनाव मैदान में उतरेंगे।

सिद्धारमैयाः राजनीतिक करियर

1978 तक सिद्धारमैया वकालत की प्रैक्टिस कर रहे थे। उस वक्त देश में 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' की बयार चल रही थी। सिद्धारमैया ने भी राजनीति में आने का फैसला किया। उन्होंने पहली बार लोक दल के टिकट पर चामुंडेश्वरी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और सभी को हैरान करते हुए चुनाव जीत भी लिया। साल 1985 में हुए मध्यावधि चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की और पहली बार राज्य सरकार में पशुपालन मंत्री बनाए गए। 

साल 1994 में सिद्धारमैया एकबार फिर चुनाव जीते और जनता दल की देवगौड़ा सरकार में वित्तमंत्री बनाए गए। अबतक उनका राजनीतिक कद काफी बढ़ चुका है। वो कर्नाटक में जनता दल में नंबर दो माने जाने लगे। 1996 में उन्हें सूबे का उपमुख्यमंत्री बनाया गया। जब जनता दल का विभाजन हुआ तो एचडी देवगौड़ा का साथ देते हुए सिद्धारमैया जनता दल (सेकुलर) में शामिल हो गए। 2004 में जब कांग्रेस और जेडी (एस) की गठबंधन सरकार बनी तो सिद्धारमैया को एकबार फिर उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

2005 में जेडी (एस) के एच डी देवगौडा ने सिद्धारमैया को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। माना जाता है कि देवगौड़ा अपने बेटे एचडी कुमारस्वामी को आगे बढ़ाना चाहते थे। उस वक्त कुमारस्वामी एक उभरता हुआ सितारा थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली और 2006 में चामुंडेश्वरी सीट से ही विधानसभा चुनाव जीता। 2008 विधानसभा चुनाव में राज्य में येदियुरप्पा का जादू चला और भारतीय जनता पार्टी के हाथ में सत्ता आ गई। येदियुरप्पा के भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने और पार्टी छोड़ने के बाद प्रदेश की जनता ने सिद्धारमैया पर भरोसा किया। कांग्रेस पार्टी में उन्हें वो हासिल हुआ जो जेडी (एस) में रहते हुए भी नहीं मिला। 2013 में सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनाए गए।

Web Title: Karnataka Assembly Election 2018 Siddaramaiah Profile and Political career, All you need to know

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