करगिल युद्ध विशेष: याक खोजने गए नामग्याल ने दी थी घुसपैठ की खबर, सेना आज भी उन्हें हर महीने पांच हजार रुपए देती है

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 26, 2023 05:04 PM2023-07-26T17:04:54+5:302023-07-26T17:06:46+5:30

दो मई 1999 को नामग्याल अपना याक खोजने गए थे। बर्फ में उन्होंने कुछ निशान पाए जो याक के नहीं बल्कि इंसान के थे। कुछ दूरी पर उन्होंने पांच-छह लोगों को देखा जो स्थानीय लोगों के लिबास में थे। नामग्याल को उनके घुसपैठी या आतंकी होने का शक हुआ।

Kargil war special Namgyal, who went to find Yak, had given the news of infiltration | करगिल युद्ध विशेष: याक खोजने गए नामग्याल ने दी थी घुसपैठ की खबर, सेना आज भी उन्हें हर महीने पांच हजार रुपए देती है

याक खोजने गए नामग्याल ने दी थी घुसपैठ की जानकारी

Highlights26 जुलाई को भारत हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता हैयाक खोजने गए नामग्याल ने दी थी घुसपैठ की जानकारीसेना आज भी उन्हें हर महीने पांच हजार रुपए देती है

जम्मू: 26 जुलाई को भारत हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है। लद्दाख के ऊंचे पहाड़ों पर लड़ी गई दुनिया की मुश्किल जंगों में से एक करगिल युद्ध की कहानी बेहद दिलचस्प है। करगिल घुसपैठ की खबर किसी गुप्तचर एजेंसी ने सेना को नहीं दी थी बल्कि याक खोजने गए एक चरवाहे ने इसका पता लगाया था। 

दो मई 1999 को नामग्याल अपना याक खोजने गए थे। बर्फ में उन्होंने कुछ निशान पाए जो याक के नहीं बल्कि इंसान के थे। कुछ दूरी पर उन्होंने पांच-छह लोगों को देखा जो स्थानीय लोगों के लिबास में थे। नामग्याल को उनके घुसपैठी या आतंकी होने का शक हुआ। उसने तुरंत पंजाब बटालियन के हवलदार बलविंदर सिंह को सूचना दी। बलविंदर ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाने पर वे नामग्याल के साथ उस जगह गए जहां दुश्मन की गोली का शिकार हो गए।

इन पांच-छह लोगों को देखकर नामग्याल को लगा कि कुछ तो गड़बड़ होने वाला है। नामग्याल का शक बाद में सही निकला, जब सप्ताह भर में ही करगिल घुसपैठ के खिलाफ भारतीय सेना को अभियान शुरू करना पड़ा। अभियान करीब 81 दिन चला। 26 जुलाई को घुसपैठियों को पूरी तरह मार भगाया गया।

करगिल जंग जीतने के बाद सेना ने नामग्याल को 50 हजार रुपए देकर सम्मानित किया था। आज भी उन्हें हर महीने पांच हजार रुपए दिए जा रहे हैं। साथ ही राशन भी मुफ्त मिलता है। उनके दो बेटे व दो बेटियां हैं। सेना की सिफारिश पर उनके दूसरे बेटे स्टैंजिन दोर्जे को पुणे स्थित सरहद संस्था ने पढ़ाई के लिए गोद ले रखा है। सरहद संस्था में जम्मू कश्मीर के करीब 150 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें करगिल के 33 छात्र ऐसे भी हैं जिनके माता-पिता करगिल घुसपैठ के दौरान भारतीय जवानों की मदद करने के कारण दुश्मन के निशाने पर आ गये थे।

Web Title: Kargil war special Namgyal, who went to find Yak, had given the news of infiltration

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