कागरिल युद्धः टाइगर हिल्स पर पाक को धूल चटाने वाले इस वीर सपूत को कुछ इस अंदाज में किया गया याद
By रामदीप मिश्रा | Published: June 11, 2018 09:31 AM2018-06-11T09:31:45+5:302018-06-11T10:02:10+5:30
kargil War Martyrs Rajinder Singh Death Anniversary: भारतीय सेना में हवलदार के पद पर तैनात राजेंद्र सिंह 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान की सेना से टाइगर हिल्स पर लड़ते समय शहीद हो गए थे।
जम्मू, 11 जूनः भारतीय सेना के जांबाजों के हौसले और बहादुरी की कहानियां हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा कर देती हैं। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर भारतीय जमीन से बाहर कर दिया था। इस ऑपरेशन विजय नाम के मिशन में भारत माता के सैकड़ों वीर सपूत शहीद हुए थे। उन्हीं में एक थे जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के हवलदार राजेंद्र सिंह।
भारतीय सेना में हवलदार के पद पर तैनात राजेंद्र सिंह 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान की सेना से टाइगर हिल्स पर लड़ते समय शहीद हो गए थे। राजेंद्र सिंह की 19वीं पुण्यतिथि पर उनके पैतृक गांव मार्टा नागरोटा में ग्रामीणों, परिजनों और अन्य लोगों ने उनके स्मारक का अनावरण किया। इस दौरान एक सैनिक टुकड़ी ने सलामी दी।
सबसे बड़ी बात यह है कि जिस शहीद सपूत के स्मारक का अनावरण किया है उसे देखकर उसके हौसले और वीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे वीर सपूतों ने ही पाकिस्तान को हर मंसूबों और उन्हें धूल चटाने के लिए विवश कर दिया था।
आपको बता दें कि दुश्मन (पाकिस्तान) पर 26 जुलाई को जीत मिली थी, जिसे कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में भारत की विजय के 19 साल पूरे हो रहे हैं। 1998-99 की सर्दियों में पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों की मिलीभगत से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर कारगिल क्षेत्र में भारतीय सीमा में घुस आई। सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण कारगिल पहाड़ियों पर उन्होंने बेहद सर्दी के दिनों में ही कब्जा जमा लिया। उन्होंने घुसपैठ को ऑपरेशन बद्र नाम दिया।
1999 की गर्मियों की शुरुआत में जब सेना को पता चला तो सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में 527 भारतीय जवान शहीद हुए, जबकि 1363 घायल हुए। यह सैन्य ऑपरेशन आठ मई को शुरू हुआ और 26 जुलाई को खत्म हुआ।
वहीं, आज के दिन 11 मई से इस युद्ध में भारतीय वायुसेना भी शामिल हो गई थी, वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज, मिग-21, मिग 27 और हेलीकॉप्टर ने पाकिस्तानी घुसपैठियों की कमर तोड़कर रख दी थी। करीब 16 हजार से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर यह लड़ाई लड़ी गई थी।
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