कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने के मौके पर रखे गए एक सेमिनार में सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान को लेकर भारतीय सेना का रुख एक बार फिर स्पष्ट कर दिया। सेनाध्यक्ष रावत ने दो टूक कहा, ''पाकिस्तानी सेना बार-बार दुस्साहस का दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का सहारा लेती है या तो गलत छद्म युद्धों और राज्य प्रायोजित आतंक के माध्यम से या घुसपैठ के जरिये। भारतीय सेना अपने क्षेत्र के रक्षा के लिए अडिग है। कोई संदेह नहीं कि किसी भी दुस्साहस को दंडात्मक प्रतिक्रिया से निरस्त किया जाएगा।''
बता दें कि कारगिल युद्ध 1999 में भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच 3 मई से 26 जुलाई तक लड़ा गया था, जिसमें भारतीय रणबांकुरों ने जंग फतह की थी। पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान के साथ अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। हालांकि, इस युद्ध की कीमत भारतीय मांओं ने भी अपने लाल खोकर चुकाई थी।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक युद्ध में 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे। वहीं पाकिस्तानी सेना और सरकार उसके मारे गए सैनिकों की संख्या बताने में घालमेल करती रही है। पाकिस्तान ने आधिकारिक बयान में उसके 453 सैनिकों के मारे जाने की बात कही थी लेकिन पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल (एन) ने उसके श्वेत पत्र में कारगिल युद्ध में मरने वालों का आंकड़ा चार हजार से ज्यादा बताया था। जिनमें 3000 से ज्यादा मुजाहिदीन, सैनिक और अधिकारी शामिल बताए गए थे।
जनरल रावत ने इस मौके पर भविष्य की लड़ाइयों को लेकर भी अपने विचार रखे। जनरल रावत ने कहा, ''भविष्य के युद्ध और हिंसक और अप्रत्याशित होंगे जहां मानव कारक का महत्व कम हो जाएगा।'' साथ ही जनरल रावत ने यह भी कहा कि ''हमारे सैनिक हमारे लिए पहली संपत्ति हैं और हमेशा रहेंगे।''
सेनाध्यक्ष जनरल रावत ने कहा कि भविष्य की जंगों में प्रोद्योगिकी की अहम भूमिका होगी। हाइव्रिड वॉर लड़े जाएंगे।