बीजेपी के उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में MSME के मंत्री रहे कलराज मिश्र कोहिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है.
इस बार कलराज मिश्र ने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. गाजीपुर में पैदा हुए कलराज मिश्र की गिनती पूर्वांचल के कद्दावर नेताओं में होती है.
कलराज मिश्र 2014 से लेकर 2019 तक देवरिया से सांसद रहे. संघ प्रचारक के रूप में उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. उन्हें मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में एमएसएमई का प्रभार भी संभाला.
75 साल की उम्र का दायरा पार कर जाने के जाने के कारण इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला. कलराज मिश्र 5 बार विधायक चुन कर विधानसभा पहुंचे.
ये दिग्गज भी हैं लाइन में
मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, बिजोय चक्रवर्ती, करिया मुंडा, भगत सिंह कोश्यिारी, बंडारू दत्तात्रेय आदि भाजपा के उन वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा.
उनकी इच्छा राज्यपाल बनने की है. चुनाव नहीं लड़ने वाली पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी राजनीतिक भूमिका चाहती हैं. इस साल उनके लिए राज्यसभा सीट उपलब्ध नहीं है. इसके लिए उन्होंने 2020 का इंतजार करना होगा.
नौकरशाहों को नहीं करना चाहते नियुक्त
प्रधानमंत्री कार्यालय के करीबी सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी केंद्र शासित प्रदेशों में जहां प्रशासकों की जरूरत है, वहां नौकरशाहों या सेवानिवृत्त अधिकारियों को राज्यपाल के रूप में नियुक्त नहीं करना चाहते हैं.
वह नेताओं को राज्यपाल के रूप में नियुक्त करते हैं. काफी हद तक इसी कारण से भाजपा के दिग्गजों के लिए राज्यपाल पद आशा की किरण है.