वरिष्ठता विवाद के बीच आज सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे न्यायमूर्ति केएम जोसफ
By भाषा | Published: August 7, 2018 04:00 AM2018-08-07T04:00:20+5:302018-08-07T04:00:20+5:30
पिछले शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में तीन न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये जारी अधिसूचना के साथ सामने आया जिसमें न्यायमूर्ति के एम जोसफ का नाम तीसरे स्थान पर था।
नई दिल्ली, 7 अगस्तः उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के एम जोसफ मंगलवार तय कार्यक्रम के मुताबिक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे। इस बात को लेकर हालांकि विवाद भी है कि केंद्र ने पदोन्नति में उनकी वरिष्ठता को कम कर दिया है।
केंद्र ने हालांकि अपनी तरफ से कहा कि उसने पूरी तरह से समय की कसौटी पर खरे उतरे उच्च न्यायालय की वरिष्ठता सूची के सिद्धांत का पालन किया। यह पिछले शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में तीन न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये जारी अधिसूचना के साथ सामने आया जिसमें न्यायमूर्ति के एम जोसफ का नाम तीसरे स्थान पर था।
सर्वोच्च न्यायलय के सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत तीन न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति के एम जोसफ- का शपथग्रहण कल केंद्र द्वारा अधिसूचित वरिष्ठता क्रम के मुताबिक होगा। कॉलेजियम के सदस्यों समेत न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने न्यायमूर्ति के एम जोसफ की वरिष्ठता के मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिये प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मुलाकात की।
बताया जा रहा है कि न्यायाधीशों का मत था कि इस मामले पर साथ बैठकर विचार करने की जरूरत है। अदालत के सूत्रों ने कहा कि फिलहाल ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता और कुछ न्यायाधीशों द्वारा व्यक्त चिंताओं पर कल तीन न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के बाद चर्चा की जाएगी।
अदालत के सूत्रों ने कहा सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम के सदस्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को छोड़कर अन्य ने केंद्र के न्यायमूर्ति के एम जोसफ की वरिष्ठता कम करने के फैसले पर ‘‘अनौपचारिक’’ चर्चा की। न्यायमूर्ति गोगोई छुट्टी पर हैं। हालांकि यह फैसला लिया गया कि शपथ ग्रहण समारोह होना चाहिए।
आज दिन का कामकाज शुरू होने से पहले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश लाउंज में न्यायाधीशों के बीच सुबह हुई चर्चा के बारे में अदालत के सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘शहथ ग्रहण होने दीजिए। अभी समय नहीं है। शपथ ग्रहण को टाला नहीं जा सकता। यह देखना होगा कि बाद में क्या किया जा सकता है।’’
उन्होंने बताया कि कॉलेजियम की अध्यक्ष प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह न्यायमूर्ति गोगोई से इस पर चर्चा करेंगे जो उनके बाद सबसे वरिष्ठ हैं और केंद्र के समक्ष यह मामला उठाएंगे। सरकार के सर्वोच्च सूत्रों ने रेखांकित किया कि कार्यपालिका ने न्यायमूर्ति जोसफ का नाम न्यायमूर्ति बनर्जी और सरन से नीचे रखने के लिये ‘‘पूरी तरह उच्च न्यायालय की वरिष्ठता सूची के जांचे परखे सिद्धांत का पालन किया’’।
यह भी कहा गया कि तीनों न्यायाधीशों में से कोई भी न्यायाधीश प्रधान न्यायाधीश नहीं बनेगा क्योंकि न्यायालय में दूसरे न्यायाधीश हैं जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय में पहले पदोन्नत किया गया और वे बाद में सेवानिवृत्त होंगे। अधिसूचना में मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी का नाम पहले स्थान पर है। उनके बाद उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति विनीत सरन का नाम है। यह सुविधाजनक है कि न्यायाधीशों की वरिष्ठता केंद्र द्वारा अधिसूचित नामों के क्रम के मुताबिक तय की जाए।
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