आपके जो प्रयास हैं उसे हम समझते हैं, हम खिलाफ हैं, कुछ मत बोलिए, नाराज हैं, न्याय को इस तरह से नहीं खरीदा जा सकताः सुप्रीम कोर्ट

By भाषा | Published: September 12, 2019 04:14 PM2019-09-12T16:14:24+5:302019-09-12T16:15:35+5:30

उच्चतम न्यायालय ने वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाला मामले में अभियुक्त गौतम खेतान के काला धन कानून से संबंधित मामले में बुधवार को नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘न्याय इस तरह से खरीदा नहीं जा सकता है।’’

Justice cannot be bought in this way, do not talk in such nonsense: Supreme Court | आपके जो प्रयास हैं उसे हम समझते हैं, हम खिलाफ हैं, कुछ मत बोलिए, नाराज हैं, न्याय को इस तरह से नहीं खरीदा जा सकताः सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने आगे कहा, ‘‘आप वकील हैं ओर आपको कानून की रक्षा करनी चाहिए। जिस तरह से आपने आचरण किया है वह उचित नहीं है।’’

Highlightsपीठ ने कहा, ‘‘इस तरह की निरर्थक बात नहीं करें। न्याय को इस तरह से नहीं खरीदा जा सकता।’’केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि इस मामले में महत्वपूर्ण कानून सवाल जुड़ा है।

उच्चतम न्यायालय ने वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाला मामले में अभियुक्त गौतम खेतान के काला धन कानून से संबंधित मामले में बुधवार को नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘न्याय इस तरह से खरीदा नहीं जा सकता है।’’

शीर्ष अदालत ने 2016 के काला धन कानून को जुलाई 2015 से लागू करने और आरोपी के खिलाफ इसके तहत मामला दर्ज करने से जुड़े सवाल पर सुनवाई करते हुये इस संबंध में अपना रुख स्पष्ट करने के लिये खेतान के चार सप्ताह का समय मांगने पर नाराजगी व्यक्त की।

गौतम खेतान के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केन्द्र की अपील पर जवाब दाखिल करने के लिये समय मांगा था। उच्च न्यायालय ने 16 मई को अपने आदेश में कहा था कि 2016 के काला धन कानून को जुलाई, 2015 से लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुये कहा था कि वह इस मामले पर सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने खेतान के वकील के इस रवैये की सराहना नहीं की और कहा कि यह मामले को लंबा खींचने और इसकी सुनवाई कर रही पीठ से बचने का तरीका है।

पीठ ने खेतान के वकील से कहा, ‘‘आपके जो प्रयास हैं उसे हम समझते हैं। हम इसके खिलाफ हैं। इस बारे में कुछ मत बोलिये। हम बेहद नाराज हैं। यह तरीका नहीं है। आप पीठ से बचना चाहते हैं। न्याय में इस तरह से विलंब नहीं किया जा सकता।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह की निरर्थक बात नहीं करें। न्याय को इस तरह से नहीं खरीदा जा सकता।’’ केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि इस मामले में महत्वपूर्ण कानून सवाल जुड़ा है। पीठ ने जब यह कहा कि वह इस मामले में 17 सितंबर को सुनवाई करेगी तो खेतान के वकील ने कहा, ‘‘हम अपना जवाब दाखिल करने के लिये चार सप्ताह का वक्त चाहते हैं। हमें जवाब दाखिल करने के लिये चार सप्ताह का वक्त दिया जाये।’’

खेतान के वकील की इस दलील से पीठ बेहद नाराज हो गयी और उसने कहा, ‘‘नहीं, इस तरह नहीं। हम इस तरह के काम की निन्दा करते हैं। न्यायालय में आचरण का यह तरीका नहीं है। इस न्यायालय में यह क्या हो रहा है? इस तरह नहीं। यह सब खुले न्यायालय में नहीं होना चाहिए। आप बहुत आपत्तिजनक कर रहे हैं।’’

पीठ ने आगे कहा, ‘‘आप वकील हैं ओर आपको कानून की रक्षा करनी चाहिए। जिस तरह से आपने आचरण किया है वह उचित नहीं है।’’ हालांकि, खेतान के वकील ने पीठ से इसके लिये क्षमा याचना की और कहा, ‘‘मैं तो सिर्फ यही अनुरोध कर रहा था कि न्यायालय जवाब दाखिल करने के लिये जो भी उचित हो समय दे।’’

पीठ ने वकील से कहा कि वह 17 सितंबर तक जवाब दाखिल करें और इस मामले को पीठ ने 18 सितंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि उच्च न्यायालय का आदेश अनुचित लगता है।

शीर्ष अदालत ने मई महीने में उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसने आयकर विभाग को खेतान के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया था। खेतान के खिलाफ काला धन कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।

उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में केन्द्र की उस अधिसूचना पर रोक लगा दी थी जिसमें काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर लगाने का कानून एक जुलाई, 2015 से लागू किया गया था। इस कानून को पिछले तारीख से लागू किये जाने के बारे में उच्च न्यायालय ने कहा था कि संसद ने अपने विवेक से कानून बनाया जिसे एक अप्रैल, 2016 से प्रभावी होना था और चूंकि संसद ने स्पष्ट रूप से एक तारीख के बारे में फैसला किया था, इसलिए इसे अधिसूचना के जरिये पिछली तारीख से लागू नहीं किया जा सकता। गौतम खेतान अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदा घोटाले में एक आरोपी हैं। 

Web Title: Justice cannot be bought in this way, do not talk in such nonsense: Supreme Court

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