हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में शीर्ष अदालत के स्टे पर बोले हरीश रावत, "सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मानवाधिकारों की रक्षा करेगा"
By रुस्तम राणा | Published: January 5, 2023 03:23 PM2023-01-05T15:23:36+5:302023-01-05T15:25:00+5:30
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट फैसला मानवाधिकारों की रक्षा करेगा। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रावत ने कहा कि हम सभी विध्वंस के बारे में चिंतित थे जिससे 52,000 लोग बेघर हो गए।
देहरादून: हल्द्वानी में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर गुरुवार को आए सुप्रीम कोर्ट के स्टे पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट फैसला मानवाधिकारों की रक्षा करेगा। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रावत ने कहा कि हम सभी विध्वंस के बारे में चिंतित थे जिससे 52,000 लोग बेघर हो गए। शीर्ष अदालत ने विध्वंस पर रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि 2016 में हमने लोगों के पुनर्वास को लेकर कदम उठाए।
दरअसल, गुरुवार को हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। साथ ही शीर्ष अदालत ने रेलवे और उत्तराखंड की राज्य सरकार से हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब मांगा। रेलवे के मुताबिक, उसकी 29 एकड़ से अधिक भूमि पर 4,365 अतिक्रमण हैं।
Judgement of SC will protect human rights. We all were worried about demolition rendering 52,000 people homeless. SC stayed the demolition. In 2016, we took steps regarding the rehabilitation of the people: Former Uttarakhand CM Harish Rawat on SC order on Haldwani eviction pic.twitter.com/K9sjlMOwQV
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 5, 2023
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए एस ओका की पीठ ने कहा कि यह एक ‘‘मानवीय मुद्दा’’ है और कोई यथोचित समाधान निकालने की जरूरत है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को नियत कर दी। उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को एक सप्ताह का अग्रिम नोटिस जारी कर हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था।
इस पर विरोध जताते हुए हल्द्वानी के कुछ निवासियों ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। निवासियों ने अपनी याचिका में दलील दी कि उच्च न्यायालय ने इस तथ्य से अवगत होने के बावजूद विवादित आदेश पारित करने में गंभीर भूल की है कि याचिकाकर्ताओं सहित निवासियों को लेकर कुछ कार्यवाही जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है। बनभूलपुरा में रेलवे की कथित तौर पर अतिक्रमित 29 एकड़ से अधिक जमीन पर धार्मिक स्थल, स्कूल, कारोबारी प्रतिष्ठान और आवास हैं।
(इनपुट एजेंसी के साथ)