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अशोक गहलोत और सचिन पायलट में जुबानी जंग, उपमुख्यमंत्री ने कहा, बच्चों की मौत के मामले में सरकार की जिम्मेदारी

By भाषा | Updated: January 14, 2020 19:57 IST

उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि एक तरफ जहां हम लोग गलत परंपराओं और गलत परिपाटियों को खत्म करने की बात करते हैं और जहां हम कहते हैं कि घूंघट से परहेज करना चाहिए .... एक अच्छी पहल की हम बात हम करते हैं।

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ठळक मुद्दे100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत के बाद राज्य की गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गयी थी।सरकार के किसी और मंत्री से पहले पायलट कोटा के प्रभावित अस्पताल में गए।

कोटा के एक सरकारी अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौतों पर सरकार के रुख को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट में जारी जुबानी जंग के बीच पायलट ने एक बार फिर परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए बुधवार को कहा कि मतदाताओं का दुख बांटने की जिम्मेदारी सरकार की होती है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई परंपरा गलत है तो उसे तोड़ा जाना चाहिए। पायलट ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि एक तरफ जहां हम लोग गलत परंपराओं और गलत परिपाटियों को खत्म करने की बात करते हैं और जहां हम कहते हैं कि घूंघट से परहेज करना चाहिए .... एक अच्छी पहल की हम बात हम करते हैं।

वहीं मैं समझता हूं कि अगर किसी घर में कोई मौत होती है तो उसका दुख बांटने के लिए, उसके आंसू पोंछने के लिए, उसके पास जाने की परंपरा नहीं है तो यह परंपरा तोड़नी चाहिए। पायलट ने आगे कहा,‘ सरकार की जिम्मेदारी होती है कि अपने मतदाताओं का दुख बांटने की, उनके घर में जाने की। छोटे बच्चों की अगर मौत होती है तो कोई तेरहवीं या तीये का कार्यक्रम नहीं होता लेकिन उनके मां-बाप के आंसू पोंछने की जिम्मेदारी हम सबकी है। इसे हमें मिलकर निभाना चाहिए।’

उल्लेखनीय है कि कोटा के जे के लोन सरकारी अस्पताल में एक महीने में ही 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत के बाद राज्य की गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गयी थी। सरकार के किसी और मंत्री से पहले पायलट कोटा के प्रभावित अस्पताल में गए और कुछ प्रभावित परिजनों से मिलने के बाद सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। उन्होंने कहा था,‘ बच्चों की मौत के मामले में सरकार की जिम्मेदारी और अधिक संवेदनशील होनी चाहिए थी।’

इसके बाद गहलोत ने कहा था कि जिस घर में नवजात शिशु की जान जाती है वहां परिवार वाले गुमसुम रहते हैं। उसके लिए बैठने जाने का तुक नहीं होता है। हम उनके घरों में बैठने जाएं, कभी नहीं होता है। मैंने कभी नहीं सुना आज तक ।’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बोलता है, कमेंट करता है तो सरकार को चाहिए कि उनकी बातों को, उनके सुझावों को गंभीरता से ले और उस पर कार्रवाई करें। विश्लेषकों के अनुसार पायलट के इस बयान को परोक्ष रूप से गहलोत पर निशाना इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने आज के अपने बयान में घूंघट प्रथा के विरोध का भी जिक्र किया।

दरअसल मुख्यमंत्री गहलोत राज्य के अनेक हिस्सों विशेषकर गांव ढाणियों में महिलाओं द्वारा अब भी घूंघट निकाले जाने की प्रथा के उन्मूलन की बात कह चुके हैं। मुख्यमंत्री के आह्वान को ध्यान में रखते हुए राज्य का महिला व बाल विकास विभाग जागरुकता अभियान चलाने जा रहा है।

इसके साथ ही पायलट ने राज्य में जिला प्रमुखों व प्रधानों के चुनाव समय पर करवाने के लिए राज्य के निर्वाचन आयुक्त प्रेम सिंह मेहरा को पत्र लिखा है। इसका जिक्र करते हुए पायलट ने कहा,‘ (पंचायत समिति) प्रधानों व (जिला) प्रमुखों का पांच साल का कार्यकाल फरवरी में पूरा होने जा रहा है। इसलिए मैं चाहूंगा कि कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव करवाने चाहिए।’ पायलट ने कहा कि चुनाव करवाने का काम निर्वाचन आयोग का है और सरकार पूरी मदद के लिए तैयार है। 

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