राजधानी दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मुहिम ने असर किया है। जेएनयू कार्यकारी समिति ने हॉस्टल शुल्क और अन्य शर्तों को वापस लेने की घोषणा की है।
भारत सरकार के शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम ने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर जानकारी दी कि आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों की मदद के लिए भी प्रस्ताव रखा गया है।
आर सुब्रमण्यम ने ट्वीट में लिखा, ''जेएनयू कार्यकारी समिति ने हॉस्टल शुल्क और अन्य शर्तों में बड़ी वापसी की घोषणा की। कार्यसमिति ने आर्थिक तौर पर कमर्जोर वर्ग के विद्यार्थियों को आर्थिक मदद देने की योजना का भी प्रस्ताव रखा है। अब वक्त है कि छात्र कक्षाओं में पहुंचे।''
भारत सरकार के मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से आर सुब्रमण्यम के ट्वीट को रीट्वीट किया गया है।
बता दें कि जेएनयू के करीब दो हफ्ते से शुल्क वृद्धि वापस लेने की मांग पर अड़े थे। बीते तीन दिनों में छात्रों का विरोध भारी प्रदर्शन में तब्दील हो गया था। बीते सोमवार को विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के साथ पहुंचे मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' को घंटों तक छात्रों के प्रदर्शन का सामना करना पड़ गया था। छात्रों का प्रदर्शन बुधवार को भी जारी होने की खबरें आई थीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, छात्रों के प्रदर्शन में तेजी देखते हुए कार्यकारिणी परिषद की बैठक हुई लेकिन उसे परिसर से बाहर आयोजित करना पड़ा।
वाम दल समर्थित छात्र संगठनों और आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र नेता भी फीस वृद्धि के खिलाफ एकमत नजर आए।
इससे पहले सिंगल-सीटर रूम का किराया 20 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति माह किया जाना था, वहीं, डबल-सीटर रूम का किराया 10 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति माह किया जाना था।