जम्मू-कश्मीर: किश्तवाड़ में चार आतंकवादी बने सिर दर्द, सुरक्षाबलों की सात बटालियनों को दे रहे बार-बार चकमा
By सुरेश डुग्गर | Published: September 18, 2019 07:25 PM2019-09-18T19:25:26+5:302019-09-18T19:25:26+5:30
किश्तवाड़ में करीब सालभर से चार आतंकी सुरक्षाबलों की सात बटालियनों को चकमा देकर बचने में कामयाब हो रहे हैं। इनके बार-बार बच निकलने के पीछे स्थानीय ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) का हाथ माना जा रहा है।
जम्मू संभाग के पहाड़ी जिले किश्तवाड़ में करीब एक साल से सुरक्षाबलों की 7 बटालियनें मात्र चार आतंकियों का सफाया अभी तक नहीं कर पाई हैं। ऐसा भी नहीं है कि इन आतंकियों को जबरदस्त समर्थन प्राप्त हो, बल्कि कश्मीर के अनंतनाग से सटे इस जिले में चारों आतंकी पिछले कई महीनों से इन सुरक्षाबलों को चकमा दे रहे हैं।
दरअसल, किश्तवाड़ जिले में राष्ट्रीय राइफल की तीन बटालियन हैं। दो बटालियन सीआइएसएफ, एक बटालियन सीआरपीएफ और पिछले आठ महीने से एक बटालियन आइटीबीपी की भी तैनात है। इसके अलावा स्पेशल ड्यूटी पर आए सीआरपीएफ व अन्य सुरक्षाबलों और पुलिस को मिलाकर हजारों सुरक्षाबल किश्तवाड़ में तैनात हैं। इसके अलावा कई गुप्तचर एजेंसियां भी काम कर रही हैं। इसके बावजूद मात्र चार आतंकी किसी के हत्थे नहीं चढ़ रहे। आतंकी हर बार नया प्लान बनाकर वारदात को अंजाम देते हैं और फिर भूमिगत हो जाते हैं।
एक वर्ष के अंतराल में ही किश्तवाड़ में चार बड़ी वारदातें होने से लोग दहशत में हैं। बीते शुक्रवार को हुई वारदात ने तो सबकी आंखें खोल कर रख दीं। आतंकी पूरी रात पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के जिला अध्यक्ष शेख नासिर के घर में छिपे रहे। दूसरे दिन दिनदहाड़े 11 बजे वहां से कार लेकर फरार हुए और वहां से 10 किलोमीटर दूर कार को खड़ा करके भूमिगत हो गए। ऐसे में सारी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आतंकी पुलिस और सुरक्षाबलों की पकड़ में क्यों नहीं आ रहे हैं? कहीं न कहीं यह सुरक्षाबलों और गुप्तचर एजेंसियों की नाकामी की ओर इशारा करता है।
बताया जाता है कि किश्तवाड़ इलाके में प्रमुख रूप से चार आतंकी सक्रिय हैं। इनमें ओसामा बिन जावेद, हारून बानी, नावेद मुश्ताक शाह और जाहिद हुसैन उर्फ मिशन करुसा हैं। चारों ज्यादातर किश्तवाड़ के बौंजुवार, परिवाग और चिराग इलाके में सक्रिय रहते हैं। इनका स्थायी तौर पर कोई ठिकाना नहीं है। यह चारों लगातार स्थान बदलते रहते हैं, जिस कारण उन्हें दबोचना सुरक्षाबलों के लिए मुश्किल हो गया है।
किश्तवाड़ में आतंकी हमलों के बाद आतंकियों के बच निकलने के पीछे के स्थानीय ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) का हाथ माना जा रहा है। सुरक्षाबल और खुफिया एजेंसियां अब इसी थ्योरी पर काम कर रही हैं। एजेंसियों का मानना है कि आतंकी वारदात से पहले ओजीडब्ल्यू से रेकी करवाते हैं। उसके बाद वारदात को अंजाम देने व फरार होने में इन्हीं ओजीडब्ल्यू का सहारा लेते हैं। सुरक्षाबल अब आतंकियों के साथ ओजीडब्ल्यू की सरगर्मी से तलाश कर रहे हैं। आने वाले दिनों में किश्तवाड़ शहर से कुछ गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।