पटना: ब्राह्मणों को लेकर दिये गये बयान के बाद शुरू हुए विवाद से गर्मायी सियासत के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अब उन्हें भोज पर आमंत्रित किया है. उन्होंने अपने पटना स्थित सरकारी आवास पर 27 दिसंबर को भोज देने का ऐलान कर दिया है. भोज में शामिल होने को लेकर कुछ शर्तें भी लगाई गई हैं.
मांझी ने कहा है कि वैसे ब्राह्मण और पंडित, जिन्होंने मांस-मदिरा का सेवन नहीं किया हो, चोरी और डकैती नहीं की हो, वो 27 दिसंबर को साढे 12 बजे उनके आवास पर आयोजित भोज में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने कहा है कि दलित-आदिवासियों के साथ ब्राह्मण-पंडित इस भोज में शामिल होकर सामाजिक एकता का परिचय दें.
उल्लेखनीय है कि भुईयां (मुसहर) समाज के एक कार्यक्रम के दौरान मांझी ने ब्राह्मण और पंडितों को लेकर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. उन्होने अपने भाषण के दौरान सत्यनारायण भगवान की पूजा पर भी सवाल उठाया था. उनके इस बयान को लेकर बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई थी और माफी मांगने को कहा था.
विवाद के बाद जीतन राम मांझी ने दी थी सफाई
ब्राह्मणों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. हालांकि, मामले को बढता देख पूर्व मुख्यमंत्री ने माफी मांगते हुए कहा था कि उन्होंने अपशब्द का इस्तेमाल ब्राह्मणों के लिए नहीं किया है बल्कि अपने समाज के लिए किया था. इसी बीच भाजपा नेता गजेंद्र झा ने मांझी का जीभ काटकर लाने वाले को 11 लाख रूपया इनाम देने की घोषणा कर दी थी.
भाजपा नेता के इस बयान ने एक बार फिर मांझी को बयान देने का बल दे दिया. मांझी ने अगले दिन कहा कि जिसके लिए उन्होंने इस तरह का बयान दिया था अपशब्द और गाली का इस्तेमाल किया था वो हजारों बार करेंगे. मांझी के बयान से आहत ब्राह्मण समाज के नेता सड़क पर उतर गए और मांझी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरना पर बैठ गए.
ब्राह्मण समाज के नेताओं ने पटना स्थित मांझी आवास के बाहर भी प्रदर्शन किया था और वही सत्यनारायण भगवान की पूजा करनी शुरू कर दी. प्रदर्शन कर रहे ब्राह्मण समाज के नेताओं ने मांझी आवास के बाहर ही चूडा-दही भी खाया.
एक तरफ जहां मांझी के बयान से नाराज लोग पटना में प्रदर्शन और नारेबाजी करते रहे वहीं दूसरी ओर उनके गृह जिला गया में मांझी के समर्थकों ने शक्ति प्रदर्शन किया. भाजपा नेता गजेंद्र झा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मांझी समर्थकों ने भारी संख्या में मार्च निकाला.