झारखंड: पुलिस की मौजूदगी में मॉब लिंचिंग के बाद जला दिया गया, धार्मिक पेड़ काटने के आरोपी मृतक की पत्नी ने किया दावा, जांच के आदेश
By विशाल कुमार | Published: January 6, 2022 03:19 PM2022-01-06T15:19:58+5:302022-01-06T15:33:21+5:30
मंगलवार को सिमडेगा में 34 वर्षीय संजू प्रधान को एक पेड़ काटने के मामले में पहले एक बैठक के लिए बुलाया गया था और जब वे नहीं पहुंचे तो दोपहर में उन्हें उनके घर से घसीटकर बाहर लाया गया था। वहां पीट-पीटकर हत्या किए जाने के बाद उन्हें जला दिया गया।
रांची:झारखंड के सिमडेगा में एक धार्मिक पेड़ काटने के आरोप में जिस 34 वर्षीय संजू प्रधान की पीट-पीटकर हत्या करने के बाद उन्हें जला दिया गया, उनकी पत्नी ने आरोप लगाया है कि यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसके विपरित मंगलवार को कोलेबिरा थाना क्षेत्र के प्रभारी रामेश्वर भगत ने कहा था कि पुलिस पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना होने के बाद वहां पहुंची थी।
बुधवार को प्रधान की पत्नी सपना देवी ने बताया कि मौके पर करीब 500 लोग मौजूद थे। (प्रधान पर) हमला किए जाने से पहले ही पुलिस वहां मौजूद थी. मैंने अपने पति की जान बचाने के लिए गुहार लगाई, भीख मांगी. लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया।
पेड़ काटने के आरोपों पर सपना ने कहा कि हमने एक व्यक्ति से कुछ पेड़ खरीदे थे और अपने घर के लिए लकड़ी काटी थी।
पुलिस ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि, वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय पुलिस घटनास्थल पर पहले ही पहुंच गई थी लेकिन भीड़ के गुस्से को देखते हुए पीछे हट गई।
एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि पुलिस कुछ करना नहीं चाहती थी बल्कि वह कुछ नहीं कर सकी क्योंकि भीड़ पूरी तरह से हिंसक हो गई थी।
सिमडेगा के उपायुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि चल रही जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी। हमें पुलिस की कार्रवाई या निष्क्रियता का पता चल जाएगा और हम उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे।
इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
क्या है मामला?
बता दें कि, मंगलवार को छपरीदीपा गांव के संजू प्रधान को आदिवासी परंपरा के अनुसार एक धार्मिक पेड़ काटने के मामले में पहले एक बैठक के लिए बुलाया गया था और जब वे नहीं पहुंचे तो दोपहर में उन्हें उनके घर से घसीटकर बाहर लाया गया था।
गांववालों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने उस जगह से एक पेड़ काटा जिसे आदिवासी परंपरा के अनुसार वे पवित्र स्थान मानते हैं।
घर से घसीटकर बाहर लाए जाने के बाद प्रधान को पास के बेसराजरा गांव में ले जाया गया और वहां पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और फिर उन्हें जला दिया गया।
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब एक पखवाड़ा पहले ही झारखंड विधानसभा ने शीतकालीन सत्र में भीड़ द्वारा हिंसा को रोकने से संबंधित एक विधेयक पारित किया था, जिसमें हिंसा के दोषी व्यक्तियों के लिए तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा के अलावा जुर्माना और संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है।
पश्चिम बंगाल और राजस्थान के बाद ऐसा कानून पारित करने वाला झारखंड देश का तीसरा राज्य बन गया है।