रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास पर यूपीए विधायकों की बैठक बुलाई थी। अब खबर आई है कि झारखंड के यूपीए विधायकों को छत्तीसगढ़ भेजा जा सकता है। बैठक के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर पहुंचे कई विधायक अपना सामान लेकर पहुंचे हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ही सरकार है इसलिए विधायकों को टूटने से बचाने के लिए ऐसा फैसला लिया जा सकता है।
खनन पट्टे मामले में चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया है। चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को भेज दी है और इस मामले में राज्यपाल कभी भी अपना फैसला दे सकते हैं। अगर हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द होती है तो झारखंड में सियासी संकट भी पैदा होने की संभावना है। राजनीतिक संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आवास पर यूपीए विधायकों की बैठक बुलाई थी।
इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट किया, "यह आदिवासी का बेटा है। इनकी चाल से हमारा न कभी रास्ता रुका है, न हम लोग कभी इन लोगों से डरे हैं।'' झामुमो प्रमुख ने कहा कि ''हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही हमारे मन से डर-भय को निकाल दिया है। हम आदिवासियों के डीएनए में डर और भय के लिए कोई जगह ही नहीं है।''
हेमंत सोरेन का बयान उन खबरों के बीच आया है जिसमें चुनाव आयोग ने राज्यपाल से कहा है कि चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए सोरेन को विधायक पद के लिए ‘अयोग्य’ करार देना चाहिए। राज भवन ने हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की है। लेकिन तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बीच रमेश बैस शनिवार को निर्वाचन आयोग को सोरेन को अयोग्य ठहराने का आदेश भेज सकते हैं।
हालांकि झामुमो नेताओं का कहना है कि जबतक राजभवन की तरफ से रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, तब तक हम स्थिति पर नजर रखेंगे। इस मुद्दे पर विधायक नलिन सोरेन ने कहा कि हमारे पास 50 विधायकों का समर्थन हैं। सरकार को कोई खतरा नहीं है।