झारखंड सरकार ने एक झटके में हटा दिया 1700 पारा शिक्षकों को, करीब 4 हजार पारा शिक्षकों पर भी लटक रही है तलवार

By एस पी सिन्हा | Updated: June 8, 2025 13:46 IST2025-06-08T13:46:03+5:302025-06-08T13:46:15+5:30

Jharkhand : उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में हजारों शिक्षक पद रिक्त हैं, लेकिन पिछले साढ़े पांच वर्षों में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई। ऐसे में पारा शिक्षकों को हटाना शिक्षा के हित में नहीं है।

Jharkhand government removed 1700 Para teachers in one go sword of removal is hanging over about 4 thousand Para teachers too | झारखंड सरकार ने एक झटके में हटा दिया 1700 पारा शिक्षकों को, करीब 4 हजार पारा शिक्षकों पर भी लटक रही है तलवार

झारखंड सरकार ने एक झटके में हटा दिया 1700 पारा शिक्षकों को, करीब 4 हजार पारा शिक्षकों पर भी लटक रही है तलवार

Jharkhand : झारखंड के हेमंत सरकार ने एक झटके में 1700 पारा शिक्षकों की नौकरी खत्म कर दी है। ये शिक्षक करीब 2 दशक से झारखंड के विभिन्न सरकारी स्कूलों में कार्यरत थे। सरकार का कहना है कि यह निर्णय मानकों के अनुरूप लिया गया है ताकि शैक्षणिक गुणवत्ता बनी रहे। शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने आदेश जारी किया है। विभाग का तर्क है कि इन शिक्षकों ने इंटर की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी हासिल की थी।

इसके अलावे झारखंड के सरकारी स्कूलों में करीब 4 हजार पारा शिक्षकों को नौकरी खतरे में है। इन्हें भी बर्खास्त करने की तैयारी हो रही है। इन शिक्षकों के पास फर्जी और गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों की ओर से शैक्षणिक प्रमाण पत्र हैं। इनके आधार पर यह नौकरी कर रहे हैं। 

झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और राज्य शिक्षा परियोजना की ओर से अप्रैल माह में जारी एक निर्देश के अनुसार, राज्य के सभी 24 जिलों में सहायक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों और डिग्रियों की जांच जारी है। सूत्रों के अनुसार, विभिन्न जिलों में अब तक हुई जांच में 1,136 ऐसे शिक्षकों का चुनाव हुआ है जो गैर मान्यता प्राप्त संस्थाओं के शैक्षणिक प्रमाण पत्र लेकर आए। दुमका जिले में ऐसे 153, गिरिडीह में 269 और देवघर में 98 सहायक शिक्षकों का वेतन अप्रैल 2025 से रुका हुआ है।

अनुमान है कि पूरे राज्य में ऐसे सहायक शिक्षकों की टोटल संख्या 4 हजार के करीब है। झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना के निदेशक शशि रंजन के अनुसार, सभी जिलों के शिक्षा अधीक्षकों से फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने वाले पारा शिक्षकों की जांच रिपोर्ट को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। जांच पूरी होने के बाद विभाग के स्तर से नीतिगत दौरान अंतिम निर्णय होगा। उल्लेखनीय है कि पूरे राज्य में 62 हजार से ज्यादा पारा शिक्षक मौजूद हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत ग्रामीण स्कूलों में इनकी नियुक्ति वर्ष 2001 से 2003 के बीच हुई थी। इसे ग्राम शिक्षा समितियों की अनुशंसा पर की गई।

उस समय इनके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक रखी गई। इन्हें प्रतिमाह एक हजार रुपये मानदेय के रूप में मिलता था। इसके बाद साल 2005 में विभाग ने  एक सर्कुलर जारी किया। इसमें ऐसे शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट तय की गई। इस सर्कुलर के बाद हजारों शिक्षकों ने उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के कई संस्थानों से इंटर पास होने का प्रमाण जमा किया।

इन्हीं प्रमाण पत्रों के आधार पर वे दो दशकों से कार्यरत हैं। अब इन्हीं फर्जी प्रमाण पत्र का हवाला देते हुए विभाग ने 1700 पारा शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त किया है। शिक्षा विभाग के मुताबिक जिन संस्थानों से शिक्षकों ने डिग्रियां हासिल की उनमें हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद यूपी, राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षण संस्थान, नवभारत शिक्षा परिषद इंडिया, हिंदी विद्यापीठ देवघर, बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड, हिंदी साहित्य सम्मेलन बहादुरगंज शामिल है। 

इस बीच झारखंड के विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने शिक्षा सचिव के इस फैसले पर असहमति जताते हुए उनको पत्र लिखा है। वहीं, खिजरी से कांग्रेस पार्टी के विधायक राजेश कच्छप ने भी शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर इस फैसले को अनुचित और अमानवीय बताया है। उधर, इस फैसले पर राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने तीखा विरोध जताते हुए कहा कि यह निर्णय गैर-जरूरी और शिक्षकों के भविष्य के साथ अन्याय है। उन्होंने सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है।

बाबूलाल मरांडी ने याद दिलाया कि झारखंड के गठन के बाद जब शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई थी, तब उन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में ग्राम शिक्षा समिति के जरिए हजारों पारा शिक्षकों की नियुक्ति की थी। उन्होंने बताया कि इन शिक्षकों ने ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में शिक्षा को मजबूत किया है। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में हजारों शिक्षक पद रिक्त हैं, लेकिन पिछले साढ़े पांच वर्षों में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई। ऐसे में पारा शिक्षकों को हटाना शिक्षा के हित में नहीं है।

उन्होंने लिखा कि 25 वर्षों से समर्पित सेवा दे रहे पारा शिक्षकों को अचानक हटाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा कर रहा है।

Web Title: Jharkhand government removed 1700 Para teachers in one go sword of removal is hanging over about 4 thousand Para teachers too

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