जम्मू: इस साल अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ सकता है। 45 किमी की दुर्गम पैदल यात्रा करने के बाद उन्हें 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में पवित्र हिमलिंग के पूर्ण रूप में दर्शन होने की संभावना कम होती जा रही है।
अमरनाथ यात्रा से वापस लौटने वाले श्रद्धालुओं के अनुसार जैसे-जैसे पावन हिमलिंग के दर्शन के लिए गुफा में भीड़ बढ़ती जा रही है हिमलिंग गर्मी से पिघलता जा रहा है। इसके लिए भक्तों की गर्मी को दोषी ठहराया जा रहा है। हालांकि अब अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने हिमलिंग को बरकरार रखने की खातिर रक्षा अनुसंधान की मदद लेने की जरूरत फिर महसूस होने लगी है। पिछले साल यह 20 जुलाई को ही पूरी तरह से पिघल गया था।
‘हर हर महादेव’, ‘बम बम भोले’ और ‘जयकारा वीर बजरंगी’ के नारों के बीच शून्य तापमान तथा प्रकृति की आंख मिचौली के बीच अमरनाथ गुफा में हिम से बनने वाले शिवलिंग के दर्शन करने वालों में एक बार फिर शिविलिंग का आकार चर्चा का विषय तो बनने लगा है। यात्रा के दो सौ सालों के इतिहास में यह लगातार 22वां वर्ष है, जब 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित 60 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी तथा 15 फुट गहरी इस गुफा में बर्फ से बनने वाले हिमलिंग की पूजा की जाती है। लेकिन इसका आकार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के साथ ही घटता जा रहा है।
इस बार 30 जून को इसकी ऊंचाई करीब 18 से 20 फीट के बीच थी। बताया जा रहा है कि 30 जून को यात्रा के आरंभ होने से पूर्व यह अपने पूर्ण आकार में 22 फीट के करीब था। देश के तमाम कोने से आने वाले श्रद्धालु प्रतिकूल मौसम के बीच भी अनेकों बाधाओं तथा अव्यवस्थाओं के दौर से गुजर कर शिवलिंग के दर्शनों की चाहत में बाबा बर्फानी के पास पहुंच रहे हैं।
अमरनाथ यात्रा, जिसे अमरत्व की यात्रा भी कहा जाता है। इसमें प्रथम बार भाग लेने वालों भक्तों के बीच शिवलिंग के लगातार घटने के कारण चिंता और चर्चा का विषय बना हुआ है। मालूम हो कि इस गुफा में बनने वाले शिवलिंग के आकार और आकृति में अंतर 1994 से ही आना आरंभ हुआ था, जो अभी तक जारी है। वर्ष 1994 में तो यह श्रावण पूर्णिमा को भी बना ही नहीं था। हालांकि तब इसके न बनने पर भी विवाद था। तब कई तर्क दिए गए थे इसके न बनने के पीछे और उसके अगले साल यह बना था लेकिन थोड़ा था और गत वर्ष भी यह पतले रूप में विद्यमान था।
हिमलिंग के आकार में लगातार होने वाले परिवर्तन के लिए मौसम में होने वाले बदलाव के तर्क को अधिकतर लोग सही मान रहे हैं। वे इस बार की यात्रा के दौरान भी मौसम में अचानक होने वाले परिवर्तन को हिमलिंग के आकार में होने वाले परिवर्तन का कारण मान रहे हैं। हालांकि भगवान में अधिक आस्था रखने वाले इसे भगवान की माया कह रहे हैं तो विज्ञान में विश्वास रखने वाले इसके वैज्ञानिक कारण को मानते हैं।
इस परिवर्तन के लिए चाहे कोई भी कारण बताया जा रहा हो लेकिन तात्कालिक कारण सबको यही लग रहा है कि हिमलिंग के दर्शन करने वालों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। परिणाम हजारों भक्तों तथा उनके हाथों की गर्मी भी हिमलिंग को पिघला रही है। भक्तों की संख्या कितनी है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यात्रा में 24 दिनों में सवा 3 लाख श्रद्धालु शामिल हो चुके हैं।
हालांकि अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने अब इसकी पुष्टि की है कि हिमलिंग को अपने पूर्ण आकार में रखने की खातिर उसने रक्षा अनुसंधान विभाग से संपर्क किया है और उससे यह आग्रह किया है कि वह ऐसी तकनीक खोज निकाले जिससे भक्तों की गर्मी भी हिमलिंग को पिघला न सके।