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अनुच्छेद 370: मोदी सरकार ने राज्य सभा से पारित करवाया जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, जानिए किसने-क्या कहा? 

By रामदीप मिश्रा | Updated: August 5, 2019 19:11 IST

मोदी सरकार ने आज सुबह विधेयक पेश किया, जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया।

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ठळक मुद्देदेश की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सोमवार को राज्य सभा से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक- 2019 पारित करवा लिया है। इस दौरान राज्य सभा में पर्चियों से वोटिंग हुई और बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े हैं, जबकि विरोध में 61 वोट पड़े। 

देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सोमवार को राज्य सभा से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक- 2019 पारित करवा लिया है। इस दौरान राज्य सभा में पर्चियों से वोटिंग हुई और बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े हैं, जबकि विरोध में 61 वोट पड़े। 

मोदी सरकार ने आज सुबह विधेयक पेश किया, जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में एक संकल्प पेश किया जिसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने लद्दाख के लिए केंद्र शासित प्रदेश के गठन की घोषणा की, जहां चंडीगढ़ की तरह से विधानसभा नहीं होगी।  

राज्य सभा में पूरे दिन गरमा-गरम बहस हुई और विपक्ष ने आज को काला दिन करार दिया। साथ ही साथ सत्ता द्वारा लोकतंत्र और संविधान को कुचलना बताया है। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष को करारा जवाब दिया। उन्हों कहा कि आज में एक ऐतिहासिक संकल्प और बिल लेकर आया हूं, जिस पर कई सदस्यों ने शंकाएं जताई हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में लंबे रक्तपात का अंत धारा 370 के खत्म करने से होगा।

उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 अस्थाई था और इसे कभी न कभी हटना था लेकिन पिछली सरकारों ने वोट बैंक के लिए इसे हटाने की हिम्मत नहीं की। कैबिनेट ने आज हिम्मत दिखाकर और जम्मू कश्मीर के लोगों के हित के लिए यह फैसला लिया है। आर्टिकल 370 के कारण जम्मू कश्मीर में कभी भी लोकतंत्र प्रफुल्लित नहीं हुआ। आर्टिकल 370 और 35A के कारण भ्रष्टाचार फला-फूला, पनपा और चरम सीमा पर पहुंचा। आर्टिकल 370 और 35A के कारण ही गरीबी घर कर गई।

शाह ने कहा कि 40 हजार पंच-सरपंच का अधिकार 70 साल तक जम्मू कश्मीर के लोगों से ले लिया। इसका जिम्मेदार अनुच्छेद 370 है। राष्ट्रपति शासन के बाद वहां चुनाव हुए और आज 40 हजार पंच-सरपंच वहां के विकास में योगदान दे रहे हैं। जम्मू और कश्मीर के विकास में बाधक भी आर्टिकल 370 है। शिक्षा के लिए यहां के बच्चों को देशभर के शिक्षा संस्थानों पर जाना पड़ता है इसका भी कारण 370 है। जम्मू और कश्मीर के विकास में बाधक भी आर्टिकल 370 है।

उन्होंने कहा कि केंद्र ने पैसा दिया फिर भी जम्मू और कश्मीर का विकास नहीं हुआ। आर्टिकल 370 महिला विरोधी, दलित विरोधी, आदिवासी विरोधी और आतंकवाद की जड़ है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए नहीं, वहां हो रही जांच के खिलाफ हो-हल्ला हो रहा है। 

इससे पहले बीजद के प्रशांत नंदा ने कहा कि भारत के बाकी राज्यों के लोग पूछते हैं कि जब देश जम्मू कश्मीर के लिए इतना करता है तो फिर वहां हमारी सेना के लोगों के साथ इतना खराब बर्ताव क्यों किया जाता है? उन्होंने सरकार के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे ‘‘हमारा सिर कटा नहीं, बल्कि गर्व से सिर ऊंचा उठ गया है।’’ 

माकपा सदस्य के के रागेश ने सरकार को आगाह किया कि उसके इस कदम से देश के एक राज्य में फलस्तीन जैसी स्थिति बन सकती है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब वह यह दावा कर रही है कि यह कदम लोगों को विश्वास में लेकर किया गया है तो वहां धारा 144 क्यों लागू की गयी है? 

भाजपा के सीएम रमेश ने जहां सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताया वहीं आईएमयूएल के अब्दुल वहाब ने कहा कि कश्मीर में विभिन्न संस्कृतियां मिलकर सदियों से एकसाथ रह रही हैं। 

आरपीआई (ए) के रामदास अठावले ने सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे देश और मजबूत होगा। 

कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए इसे ‘‘इतिहास पर धब्बा, संघीय ढांचे पर प्रहार और संघ की रूह पर धब्बा’’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कश्मीर को जीता और आपने कश्मीर को गंवा दिया।’’ सिब्बल ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा संविधान की बुनियाद को खत्म करने जा रही है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह निर्णय व्यापक विचार विमर्श के बाद किया है। निर्मला ने कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने का रूख भाजपा का जनसंघ के समय से रहा है। उन्होंने कहा कि यह शुरू से हमारे चुनावी घोषणापत्र का अंग रहा है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर की महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के साथ भेदभाव हो रहा था और उन्हें वे सुविधाएं और अधिकार नहीं मिल पा रहे थे जो भारत के अन्य नागरिकों को मिलते हैं। 

केरल कांग्रेस के जोस मणि ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि यह काम लोगों को विश्वास में लिये बिना किया जा रहा है, वहीं कांग्रेस के विवेक तनखा ने सरकार से पूछा कि क्या उसके इस कदम से कश्मीर के पंडित वापस लौट पाएंगे। 

केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कश्मीर में आज भी शांति कायम है और राज्य के अधिकतर लोग केन्द्र के इस कदम के साथ है। उन्होंने दावा किया कि अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय हो रहा था। (समाचार एजेंसी के भाषा इनपुट के साथ)

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