स्पेशल रिपोर्ट: जम्मू-कश्मीर की नौकरशाही में खलबली, 10 साल से चल रहा 'हनीमून पीरियड' खत्म होगा
By हरीश गुप्ता | Published: November 5, 2019 09:01 AM2019-11-05T09:01:40+5:302019-11-05T09:02:08+5:30
जम्मू-कश्मीर में कार्यरत 41 सरकारी विभागों और संस्थानों के कर्मचारियों को भी विकल्प देकर पूछा गया है कि वह किस केंद्रशासित प्रदेश में काम करना चाहते हैं.
एक दशक से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सुकून की जिंदगी जी रहे नौकरशाहों में खलबली मची हुई है. अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने उनका तकरीबन एक दशक से चला आ रहा 'हनीमून पीरियड' खत्म करके बड़े पैमाने पर फेरबदल की तैयारी कर ली है.
आईएएस अधिकारियों को अब दोनों में से किसी एक कैडर को चुनना होगा. नए केंद्रशासित प्रदेशों में कार्यरत आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों का दर्जा भी बदलने वाला है. तय मापदंडों के मुताबिक केंद्र सरकार अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों के लिए कोटा तय करने जा रही है. आबादी के लिहाज से जहां जम्मू-कश्मीर बड़ा है तो इलाके के लिहाज से लद्दाख.
यूटी कैडर में चयनित नये अधिकारियों को अब देश के नौ केंद्रशासित प्रदेशों में से किसी में भी नियुक्ति दी जा सकेगी. दिल्ली, चंडीगढ़ जैसे विकल्प जहां सामान्य लगते हैं, उन्हें अंडमान-निकोबार, दमन-नागरा-हवेली और लक्षद्वीप तक में सेवा देनी पड़ सकती है.
म्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के नये उपराज्यपाल द्वारा गृह मंत्रालय के साथ सलाह-मशविरे के बाद फैसला लिया जाएगा. यानी केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में नियुक्ति विभाग की कमान जी.सी. मूर्मू के हाथों में होगी. जब जून 2018 में छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम को जम्मू-कश्मीर का मुख्य सचिव बनाया था तब किसी को अहसास नहीं था कि नमो प्रशासन का इरादा क्या है.
राज्य के दो केंद्रशासित राज्यों में विभाजन के साथ ही मामले का खुलासा हो गया. पूर्व रक्षा सचिव आर.के. माथुर और पूर्व व्यय सचिव जी.सी. मुर्मू की नये उपराज्यपालों के तौर पर नियुक्ति को लेकर काफी चर्चा पहले ही हो चुकी है. यह महज संयोग नहीं कहा जा सकता कि मोदी और उनकी टीम के प्रमुख सदस्य पीओके को भारत में शामिल करने की इच्छा को दोहराते रहते हैं.
जम्मू-कश्मीर में वार्ताकार की भूमिका निभा चुके पूर्व आईबी प्रमुख दिनेश्वर शर्मा की लक्षद्वीप में प्रशासक के तौर पर नियुक्ति भी चीन के भारत को घेरने की रणनीति के मद्देनजर महत्वपूर्ण कदम है. चीन श्रीलंका के साथ रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करने में जुटा है.