जम्मू, 9 दिसम्बरः सुरक्षाबलों ने श्रीनगर के मुजगुंड इलाके में एक मुठभेड़ में तीन आतंकियों को ढेर कर दिया है और सुरक्षा बल के पांच जवान भी घालय हुए हैं। फिलहाल इन मौतों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है जबकि पुलिस अधिकारियों का कहना था कि वे उस मकान के मलबे के ढेर में से शवों की तलाश कर रहे हैं जो मुठभेड़ के दौरान ब्लास्ट कर नेस्तनाबूद कर दिया गया था। सुरक्षाबलों को तलाशी अभियान में इसलिए दिक्कत पेश आ रही थी क्योंकि पत्थरबाज घटनास्थल पर जुट गए थे। इलाके में इंटरनेट सेवा रोक दी गई है। फिलहाल मुठभेड़ अपने अंतिम चरण पर है।
शनिवार को सुरक्षाबलों को इस इलाके में कुछ आतंकियों के छिपे होने की खबर मिली थी जिसके बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी की और तलाशी अभियान शुरू कर दिया। पुलिस और सीआरपीएफ के तलाशी अभियान के दौरान आतंकियों ने अचानक से सुरक्षाबलों पर फायरिंग करना शुरू कर दिया। सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की, जो मुठभेड़ में बदल गयी। खबर लिखे जाने तक मुठभेड़ जारी थी और दोनों तरफ से गोलियां चल रही थी।
दरअसल श्रीनगर के बाहरी इलाके के परिमपुरा में सुरक्षाबलों ने कासो चलाया था, जिसमें तीन आतंकियों की फंसने की आशंका थी। सुरक्षाबलों ने अपना यह ऑपरेशन मुजगुंड में चलाया था। इस गोलीबारी में पुलिस के दो कर्मी घायल हुए हैं। घायल कर्मियों को बादामी बाग 92 बेस कैंप अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एक जवान शहीद हुआ है पर आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है। सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन के दौरान एक घर को उड़ा दिया। इस घर में आतंकी छिपे हुए थे।
जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों के खिलाफ चलाए जा अभियान के बाद से आतंकी बौखलाए हुए हैं और लगातार सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं। नवंबर के अंत में पुलवामा में सुरक्षा बलों ने एक मुठभेड़ में दो आतंकियों को मार गिराया था।
याद रहे साल 2018 आतंकवादियों के लिए काल बन कर बीत रहा है। ऑपरेशन ऑल आउट में जम्मू-कश्मीर में इस साल सुरक्षाबलों ने 234 आतंकवादी मार गिराए गए। साथ ही, पत्थरबाजी की घटना में तेजी से गिरावट आई है। यह जानकारी शनिवार को अधिकारियों ने दी है। 80 दिनों की अवधि 25 जून से 5 दिसंबर तक के बीच 51 आतंकवादी मारे गए, वहीं 15 सितंबर से 5 दिसंबर के बीच 85 आतंकवादी मारे गए।
कश्मीर घाटी में अभी भी 240 आतंकवादी, जिसमें विदेशी भी शामिल हैं सक्रिय हैं। इस वर्ष 25 जून और 14 सितंबर के बीच सुरक्षाकर्मियों समेत 216 अन्य लोगों को चोटें आईं। 80 दिनों की अवधि 25 जून से 5 दिसंबर तक के बीच दो लोग मारे गए और पत्थरबाजी की घटनाओं में 170 लोग घायल हो गए।