कश्मीर: अब बचे खुचे प्रवासी श्रमिक आतंकियों के निशाने पर, एक पर हमला, बाकी को बचा लिया गया
By सुरेश डुग्गर | Published: September 6, 2019 08:43 PM2019-09-06T20:43:37+5:302019-09-06T20:44:21+5:30
सोपोर की घटना से वादी में बचे-खुचे प्रवासी श्रमिकों व अन्य लोगों में खौफ पैदा हो गया है। उनमें से कईयों ने कश्मीर छोड़ दिया है। स्थिति को भांपते हुए प्रशासन ने भी वादी में जहां भी थोड़े-बहुत प्रवासी श्रमिक हैं, वहां सुरक्षा बढ़ा दी है।
आतंकियों ने अब कश्मीर में बचे खुचे प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाना आरंभ किया है। उन्होंने एक को गोली मार कर जख्मी कर दिया। बाकी को स्थानीय लोगों ने बचा लिया है। गोली लगने से गंभीर रूप से घायल प्रवासी श्रमिक की दशा नाजुक है। वारदात के बाद आतंकी वहां से भाग निकले।
सोपोर की घटना से वादी में बचे-खुचे प्रवासी श्रमिकों व अन्य लोगों में खौफ पैदा हो गया है। उनमें से कईयों ने कश्मीर छोड़ दिया है। स्थिति को भांपते हुए प्रशासन ने भी वादी में जहां भी थोड़े-बहुत प्रवासी श्रमिक हैं, वहां सुरक्षा बढ़ा दी है। ईंट भट्ठों और मंडियों में सुरक्षा का विशेष प्रबंध किया गया है। गौरतलब है कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव के बाद से कश्मीर में सक्रिय आतंकी पूरी तरह हताश हो चुके हैं।
गत सप्ताह लश्कर कमांडर अबु हैदर ने प्रवासी लोगों को कश्मीर छोड़ने का फरमान सुनाते हुए उन्हें मौत के घाट उतारने की धमकी दी है। उसने प्रवासी लोगों को काम देने वालों, उन्हें अपने घरों में रखने वालों को भी कौम व इस्लाम का दुश्मन करार देते हुए उन्हें भी गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा है।
सोपोर की घटना ने कश्मीर घाटी में बचे खुचे बाहरी श्रमिकों व अन्य लोगों में भय पैदा कर दिया है। हालांकि इस घटना की खबर संचार सेवाओं के ठप होने के कारण देर से फैली। इसका पता चलते ही कई प्रवासी लोगों ने जम्मू की तरफ अपने साजो सामान समेत रुख किया। मंडियों और ईंट भटठों पर जहां भी थोड़ बहुत श्रमिक थे, बसों और ट्रकों में बैठ कर कश्मीर से निकलते हुए देखे गए हैं।
इस बीच, राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सोपोर की घटना का संज्ञान लेते हुए पूरी वादी में जहां भी प्रवासी लोग हैं, प्रवासी श्रमिक हैं, सुरक्षा को बढ़ाया गया है। सभी संवेदनशील इलाकों में गश्त भी तेज कर दी गई है। अलबत्ता, उन्होंने इस घटना के बाद वादी से प्रवासी श्रमिकों के पलायन से अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि हमारी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं है। वादी से करीब पांच लाख प्रवासी श्रमिक व अन्य लोग अपने अपने घरों को चले गए थे। इसके बावजूद वादी में करीब एक हजार ही प्रवासी श्रमिक रह गए थे जो विभिन्न ठेकेदारों द्वारा उपलब्ध करायी गई सुरक्षित आवासीय सुविधा या फिर अपना भुगतान न होने के कारण रुके हुए हैं।
सोपोर में आतंकियों का निशाना बने बाहरी श्रमिक का नाम सफी आलम है। वह राज मिस्त्री का काम करता है। घाटी में पांच अगस्त के बाद किसी प्रवासी व्यक्ति पर आतंकी हमले की यह पहली घटना है। सफी की टांगों और कंधों में गोलियां लगी हैं। उसे उपचार के लिए एसएमएचएस अस्पताल में लाया गया है। सफी आलम बीते कई सालों से कश्मीर में ही रह रहा है। वह सोपोर में अहद बब चौराहे के पास स्थित एक स्थानीय नागरिक के मकान के निर्माण कार्य में लगा हुआ था।
मकान मालिक ने हालात को देखते हुए उसे अपने ही घर में काम पूरा होने तक रहने की अनुमति दे रखी थी। देर शाम गए आतंकियों का एक दल जबरन मकान में दाखिल हो गया। आतंकियों ने उसे कमरे से बाहर निकाला और आंगन में खड़ा कर उसे पीटना शुरु कर दिया। इसके बाद आतंकियों ने उसकी छाती पर गोली दागने का प्रयास किया। लेकिन मकान मालिक और उसके घर में मौजूद महिलाओं ने आतंकियों का प्रतिरोध करते हुए कहा कि वह निर्दाेष है, उसे कत्ल न करें, वह उसे अपने घर से निकाल देंगे। आतंकी नहीं माने। इस पर कुछ महिलाएं सफी आलम को बचाने के लिए उस पर लेट गई। आतंकियों ने इस पर सफी की टांगों व कंधों में गोली मारी और वहां से चले गए।