Jammu-Kashmir: कई सालों से मांगी जा रही किराएदारों की जानकारी, पर खानापूर्ति के सिवाय कुछ भी नहीं
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: February 19, 2025 12:27 IST2025-02-19T12:26:45+5:302025-02-19T12:27:15+5:30
Jammu-Kashmir: वह उस मकान में कई महीनों से किराए पर रह रहा था।

Jammu-Kashmir: कई सालों से मांगी जा रही किराएदारों की जानकारी, पर खानापूर्ति के सिवाय कुछ भी नहीं
Jammu-Kashmir: सांबा और जम्मू जिलों के उपायुक्तों द्वारा पुलिस के निवेदन पर एक बार फिर इन जिलों में रह रहे किराएदारों का सत्यापन करवाने और तीन दिनों के भीतर ऐसा न करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। इस आदेश की सच्चाई यह है कि पिछले 10 सालों के दौरान पुलिस और प्रशासन द्वारा ऐसे कितने आदेश निकाले जा चुके हैं अब दोनों को भी शायद याद नहीं हैं।
अगर देखा जाए तो साल में दो से तीन बार ऐसा आदेश निकाला जा रहा है। पर किराएदारों के सत्यापन करवाने वालों का आंकड़ा एक से दो परसेंट से आगे ही नहीं बढ़ पाया है। दरअसल ऐसा न कर पाने वालों पर भारतीय संविधान की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जो चेतावनी दी गई है उसमें अधिकतम जुर्माना 200 रूपया है।
कल भी देर शाम सांबा व जम्मू के उपायुक्तों द्वारा ऐसा ही एक आदेश जारी किया गया। पर वे इसके प्रति चुप्पी साधे हुए हैं कि इतने सालों से इस आशय के जो आदेश निकाले गए उनका परिणाम क्या हुआ। कितने डिफाल्टरों के विरूद्ध कार्रवाई की गई कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
जम्मू में किराएदारों का सत्यापन करने की आवश्यकता पुलिस ने वर्ष 2014 में उस समय महसूस की थी जब एक आतंकी कमांडर अब्दुल्ला कारी शहर के बीचोंबीच जानीपुर इलाके में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। वह उस मकान में कई महीनों से किराए पर रह रहा था।
सिर्फ अब्दुल्ला कारी ही नहीं बल्कि उसके बाद के वर्षाें में भी किराएदारों के तौर पर रह रहे कई आतंकी मारे गए। कई आतंकी पकड़े गए और कई ओवर ग्राउंड वर्कर भी दबोचे गए। हर घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने किराएदारों के सत्यपान करवाने का फरमान तो जारी किया पर डिफाल्टरों के विरूद्ध कोई कार्रवाई न होने के कारण ही मकान मालिको ने इसे बहुत ही हल्के तौर पर लिया।
यह अभी भी जारी है। एक अधिकारी के बकौल, अगर मकान मालिकांें ने पहले के आदेशों को गंभीरता से लिया होता तो हर छह महीनों के बाद ऐसा फरमान जारी करने की नौबत ही नहीं आती।