जम्मू कश्मीर: पलायन करने वाले कर्मचारियों को काम पर वापस आने या कार्रवाई का सामना करने का आदेश

By विशाल कुमार | Published: October 13, 2021 07:30 AM2021-10-13T07:30:01+5:302021-10-13T07:44:02+5:30

छले हफ्ते एक सिख स्कूल के प्रिंसिपल और कश्मीरी हिंदू शिक्षक की आतंकवादियों द्वारा हत्या किए जाने के बाद असुरक्षित महसूस कर घाटी छोड़ने वाले कर्मचारियों ने इसे प्रशासन की असंवेदनहीनता करार दिया है.

jammu kashmir after-attacks-admin-to-migrant-staff-get-to-work-or-face-action | जम्मू कश्मीर: पलायन करने वाले कर्मचारियों को काम पर वापस आने या कार्रवाई का सामना करने का आदेश

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Highlightsउपायुक्तों ने कहा कि वे किसी तरह की कार्रवाई से पहले सरकारी आदेश का इंतजार करेंगे.पिछले हफ्ते एक सिख स्कूल के प्रिंसिपल और कश्मीरी हिंदू शिक्षक की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी.मजदूरों, कुशल मजदूरों आदि की भी सुरक्षा का आदेश.

श्रीनगर: कश्मीर के संभागीय आयुक्त ने शनिवार को कश्मीर के सभी 10 जिलों के उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि प्रवासी कर्मचारियों को घाटी छोड़ने की आवश्यकता नहीं है और जो कोई भी अनुपस्थित होगा, उन पर सेवा नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अपना नाम न बताने की शर्त पर कई उपायुक्तों ने कहा कि वे किसी तरह की कार्रवाई से पहले सरकारी आदेश का इंतजार करेंगे.

वहीं, पिछले हफ्ते एक सिख स्कूल के प्रिंसिपल और कश्मीरी हिंदू शिक्षक की आतंकवादियों द्वारा हत्या किए जाने के बाद असुरक्षित महसूस कर घाटी छोड़ने वाले कर्मचारियों ने इसे प्रशासन की असंवेदनहीनता करार दिया है.

प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले एक अल्पसंख्यक सदस्य ने कहा कि हो सकता है कि आदेश अच्छे इरादे से जारी किए गए हों लेकिन कई कर्मचारी दक्षिण कश्मीर में जगह-जगह अपने किराए के मकान में रह रहे हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें सुरक्षा कैसे प्रदान की जाएगी.

शनिवार को कश्मीर के संभागीय आयुक्त पांडुरंग पोल द्वारा बुलाई गई बैठक में घाटी के जिलों के सभी डीसी और एसपी के साथ सुरक्षा के मुद्दे पर भी चर्चा की गई थी.

इसके साथ ही श्रीनगर के 14 होटलों में संभागीय आयुक्त कार्यालय के माध्यम से संरक्षित व्यक्तियों को उपलब्ध कराए गए आवास की सुरक्षा की अवधि बढ़ा दी गई है.

संभागीय आयुक्त ने यह भी निर्देश दिया कि जिलों में गैर-प्रवासी अल्पसंख्यक आबादी - मजदूरों, कुशल मजदूरों आदि की पहचान की जाए और नियमित बातचीत के साथ-साथ उनके लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाएं.

उन्होंने यह भी कहा कि प्रवासी कर्मचारियों को दूर-दराज और संवेदनशील क्षेत्रों के बजाय सुरक्षित और सुरक्षित क्षेत्रों में तैनात किया जाना चाहिए.

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