शहादत में सबसे आगे है जम्मू-कश्मीर पुलिस, 1989 से अब तक 1604 जवान दे चुके हैं जान की कुर्बानी
By सुरेश एस डुग्गर | Published: October 22, 2022 04:19 PM2022-10-22T16:19:10+5:302022-10-22T16:25:58+5:30
शौर्य और पराक्रम की मिसाल पेश करते हुए देश के लिए अपने जान की कुर्बानी देने में जम्मू-कश्मीर पुलिस का सबसे ऊंचा मुकाम है। वर्ष 1989 से लेकर अभी तक प्रदेश में 1604 पुलिसकर्मी मारे भी जा चुके हैं।
जम्मू: देश में जब शहादत देने की बात आती है तो जम्मू कश्मीर पुलिस को नहीं भुलाया जा सकता है। इस साल देशभर में 287 पुलिस के जवानों और अफसरों की शहादत में जम्मू कश्मीर का नाम सबसे आगे है क्योंकि इनमें 37 प्रदेश से ही थे। यही नहीं वर्ष 1989 से लेकर अभी तक प्रदेश में 1604 पुलिसकर्मी मारे भी जा चुके हैं। गैर सरकारी तौर पर मरने वाले पुलिसकर्मियों की संख्ंया 1750 से ज्यादा है।
आधिकारिक आंकड़ों के बकौल, कश्मीर में आतंकी हिंसा में मृत पुलिसकर्मियों मों सबसे अधिक कांस्टेबल हैं, जिनकी संख्या 563 है तो उसके बाद दूसरा स्थान एसपीओ अर्थात विशेष पुलिस अधिकारियों का आता है। आंकड़ों के मुताबिक 516 एसपीओ इस अवधि में जान गंवा चुके हैं।
कश्मीर में 33 सालों से फैले आतंकवाद के दौर में जम्मू कश्मीर पुलिस एक डीआईजी, एक एसपी, 22 डीएसपी, 28 इंस्पेक्टर, 39 सब इंस्पेक्टर और 69 एएसआई रैंक के अधिकारियों को भी खो चुकी है। यही नहीं 150 हेड कांस्टेबल, 189 सीनियर ग्रेड कांस्टेबल तथा 26 फालोअर्स भी आतंकी हिंसा में शहादत पा चुके हैं।
जम्मू कश्मीर पुलिस की शहादत की शोर्य गाथाएं भी अपना एक मुकाम रखती हैं। तभी तो इन शहादतों के लिए वे कई बार कई पदकों से नवाजी जा चुकी है। इन शहादतों के लिए उसे अभी तक एक अशोक चक्र, दो कीर्ति चक्र, 18 शौर्य चक्र, 1672 प्रेसिडेंट पुलिस गैलेंटरी अवार्ड तथा 1822 जम्मू कश्मीर पुलिस मेडल फार गैलेंटरी भी प्राप्त हुए हैं।
कश्मीर में फैले आतंकवाद की तस्वीर का एक पहलू यह है कि जम्मू कश्मीर पुलिस कभी सिर्फ लाशें गिनने वाली फोर्स बन रह गई थी पर अब वह सबसे आगे रहकर आतंकवाद का खात्मा करने की ओर अग्रसर है। आतंकी हमलों, चेतावनियों और धमकियों के बावजूद कश्मीर में मारे जाने वाले हजारों आतंकियों में से आधे की मौत में जम्मू कश्मीर पुलिस की प्रमुख भूमिका रही है।