Jammu and Kashmir Assembly elections: क्या फिर से ‘गदर’ करेगा गंदरबल उमर अब्दुल्ला के साथ?, बडगाम से भी लड़ेंगे चुनाव?
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 5, 2024 03:47 PM2024-09-05T15:47:59+5:302024-09-05T15:49:36+5:30
Jammu and Kashmir Assembly elections: तीन बार अब्बाजान डा फारूक अब्दुल्ला और एक बार दादा स्व शेख मुहम्मद अब्दुल्ला चुनाव जीत चुके हैं।
Jammu and Kashmir Assembly elections: नेकां उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला एक बार फिर उस गंदरबल से किस्मत आजमाने जा रहे हैं जो उनके साथ एक बार ‘गदर’ जरूर कर चुका है। हालांकि वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में उमर अब्दुल्ला के साथ गदर करने वाले गंदरबल ने 2004 के लोकसभा चुनावों में उनमें विश्वास व्यक्त किया था। इसलिए वे इस बार गंदरबल के साथ ही बडगाम से भी चुनाव मैदान में उतरे हैं। अब एक बार फिर उमर अब्दुल्ला को उस गंदरबल विधानसभा क्षेत्र से नेशनल कांफ्रेंस पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है।
जहां से तीन बार अब्बाजान डा फारूक अब्दुल्ला और एक बार दादा स्व शेख मुहम्मद अब्दुल्ला चुनाव जीत चुके हैं। वे जिस गंदरबल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने जा रहे हैं वहां से पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला तीन बार (वर्ष 1987, वर्ष 1983 तथा वर्ष 1996 में) चुनाव जीत चुके हैं तथा उनके दादा स्व शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने भी वर्ष 1977 में इसी विधानसभा सीट से विजय पाई थी।
पर वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में उमर अब्दुल्ला की हार के प्रति यह चौंकाने वाला तथ्य था कि वे उस गंदरबल सीट से चुनाव हारे थे जिसे नेशनल कांफ्रेंस और अब्दुल्ला परिवार का पारंपारिक विधानसभा क्षेत्र और गढ़ कहा जाता रहा था। तब उमर अब्दुल्ला को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के काजी मुहम्मद अफजल ने मात्र दो हजार वोटों के अंतर से हरा दिया था।
वर्ष 2004 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो परिदृश्य कुछ बदला हुआ था। श्रीनगर संसदीय क्षेत्र के 15 विधानसभा क्षेत्रों में से जिन 12 में उमर अब्दुल्ला ने बढ़त हासिल की थी उनमें गंदरबल भी था जहां से उमर अब्दुल्ला को 16414 वोट मिले थे वहीं पीडीपी उम्मीदवार 11513 वोट ही वटोर पाया था।
एक बार फिर उमर अब्दुल्ला उस मिथ्य को बरकरार रखने की कोशिशों में जुट गए हैं जिसमें कहा जाता है कि गंदरबल उनकी खानदानी सीट है। वे चाहते हैं कि इस बार गंदरबल उनके साथ ‘गदर’ न करे। इसके लिए उन्होंने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से ही इंतजाम करने आरंभ किए थे।
विकास कार्यों में गंदरबल को काफी अहमियत दी गई थी। अर्थात पिछले कई सालों की विकास की फसल को वे अब काटने की तैयारी में हैं। इतना जरूर था कि वे गंदरबल के वोटरों द्वारा गदी किए जाने के डर के चलते बडगाम से भी चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।