अयोध्या मामले में मुस्लिमों का दावा ऐतिहासिक तथ्य पर आधारित लेकिन जो फैसला होगा, मंजूर है: जमात उलेमा-ए-हिंद

By विनीत कुमार | Published: November 6, 2019 01:00 PM2019-11-06T13:00:19+5:302019-11-06T13:01:11+5:30

उम्मीद जताई जा रही है कि इसी महीने 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले इस मामले में फैसला आ सकता है। हालांकि, फैसले की तारीख अभी तय नहीं है।

Jamiat Ulema-e-Hind on Ayodhya case: whatever judgment is delivered we will accept and respect it | अयोध्या मामले में मुस्लिमों का दावा ऐतिहासिक तथ्य पर आधारित लेकिन जो फैसला होगा, मंजूर है: जमात उलेमा-ए-हिंद

जमात उलेमा-ए-हिंद ने कहा- अयोध्या पर जो फैसला आए, मंजूर होगा

Highlightsअयोध्या मामले में इसी महीने आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसलाजमात उलेमा-ए-हिंद ने कहा, 'फैसला जो भी आए, मंजूर होगा, फैसले का सभी सम्मान करें'

अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आने वाले फैसले से पूर्व जमात उलेमा-ए-हिंद ने मुस्लिमों और देश के सभी लोगों से फैसले का सम्मान करने की अपील की है। जमात उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि जो भी फैसला आता है, उसका मुस्लिमों और पूरे देश को सम्मान करना चाहिए। साथ ही जमात उलेमा-ए-हिंद ने ये भी कहा है कि विवादित जमीन पर मुस्लिमों का दावा इस ऐतिहासिक तथ्य पर आधारित है।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार जमात उलेमा-ए-हिंद ने कहा, 'मुस्लिमों का दावा ऐतिहासिक तथ्य पर आधारित है कि मस्जिद का निर्माण बिना किसी हिंदू मंदिर को गिराये हुआ। हम अपने दावे को फिर दोहराते है, जो भी फैसला आता है उसे हम स्वीकर करेंगे और मुस्लिमों से भी अपील करते हैं और देशवासियों से भी कि फैसले का सम्मान करें।'


बता दें कि ये उम्मीद जताई जा रही है कि इसी महीने 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले इस मामले में फैसला आ सकता है। हालांकि, फैसले की तारीख अभी तय नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने पिछले ही महीने इस मामले की लगातार सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस बीच उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य इलाकों में भी सुरक्षा कड़ी की जा रही है। बीजेपी ने भी अपने कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं को अयोध्या फैसले पर संयन बरतने को कहा है। वहीं, पिछले हफ्ते देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों, उलेमा और बुद्धिजीवियों की बैठक हुई जिसमें सभी पक्षों से अदालती फैसले को स्वीकार करने और शांति बनाए रखने की अपील की गई।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ने 40 दिन तक लगातार सुनवाई की थी। इस पीठ में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।

Web Title: Jamiat Ulema-e-Hind on Ayodhya case: whatever judgment is delivered we will accept and respect it

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