जलियांवाला बाग नरसंहार: लंदन जाकर जनरल डायर को गोली मार इस क्रांतिकारी ने लिया था बदला, 21 साल करना पड़ा इंतजार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 13, 2020 10:36 AM2020-04-13T10:36:26+5:302020-04-13T12:27:38+5:30
जलियांवाला बाग नरसंहार: उधम सिंह ने जलियांवाला बाग में हुई बर्बरता को अपनी आंखों से देखा था और तभी उन्होंने इसका बदला लेने की ठान ली थी।
भारत के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन सबसे दुखद घटनाओं में से एक के नाम दर्ज है। साल 1919 में इसी दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर ने गोलियां चलवा दी थी। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए। चूकी इस बाग का रास्ता एक ओर से ही था और वहां भी अंग्रेज सिपाही खड़े थे, इसलिए लोगों को भागने का भी मौका नहीं मिल सका।
मरने वालों में वृद्ध से लेकर महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे तक शामिल थे। उस समय अंग्रेजी शासन में इस घटना में 379 लोगों के मरने की बात कही थी। हालांकि, अपुष्ट रिपोर्ट् के मुताबिक मरने वालों की संख्या 1000 के करीब रही। बाद में इस घटना का बदला क्रांतिकारी उधम सिंह ने जनरल डायर को मारकर लिया। हालांकि, इसमें उन्हें 21 साल जरूर लग गए।
उधम सिंह ने लिया था जलियांवाला बाग का बदला
उधम सिंह का असली नाम शेर सिंह था। उनका जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम कस्बे में हुआ था। उनके पिता रेलवे में गेट मैन का काम करते थे। उधम सिंह 13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग में सभा में आये लोगों को पानी पिलाने की ड्यूटी दे रहे थे। उन्होंने उस कत्लेआम को अपनी आंखों से देखा और मन बना लिया था कि इसका बदला लेंगे।
लंदन जाकर उधम सिंह ने लिया बदला
ये मार्च 1940 की बात है। लंदन के केक्स्टेन हाल में कार्यक्रम चल रहा था। उधम सिंह ने अपनी रिवॉल्वर को एक किताब में छुपाया और उस हॉल में दाखिल हुए।
कार्यक्रम खत्म होने पर पर जैसे ही माइकल ओ डायर खड़े हुए, उधम सिंह ने उन पर गोलियां बरसा दी। यही नहीं, इसे अंजाम देने के बाद उधम ने वहां से भागने की कोशिश भी नहीं की और खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। उधम सिंह पर मुकदमा चला जिसमें उन्होंने कहा कि 21 साल पहले उन्होंने इस अग्रेंज को मारने का प्रण लिया था।
उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई और 31 जुलाई 1940 को उधम सिंह को पेनतोविल्ले जेल में फांसी दी गई। सिंह द्वारा इस्तेमाल की गई रिवॉल्वर, डायरी, एक चाकू, दागी गई गोलियां अब भी ब्लैक संग्राहलय, न्यू स्कॉटलैंड यार्ड लंदन में रखी हुई हैं।