जैन समुदाय ने घटती जनसंख्या पर यंग कपल्स से की अपील- 'तीन बच्चे पैदा करो, उठाएंगे खर्चा'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 5, 2019 12:13 PM2019-03-05T12:13:41+5:302019-03-05T12:13:41+5:30
2001 में जब देश की कुल आबादी 102 करोड़ थी तब जैन समुदाय के लोगों की संख्या 42 लाख थी। इसके बाद जब 2011 में जनगणना हुई तो देश की आबादी तो 120 करोड़ पहुंच गई लेकिन जैन आबादी 44 लाख रही।
कम आबादी से चिंताग्रस्त जैन समुदाय ने नव-विवाहित जोड़ों से अपील की है कि वे कम से कम तीन बच्चे पैदा करें। यही नहीं, जैन समुदाय ने कहा कि है अगर कपल्स को तीन बच्चे पैदा करने में आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा तो समुदाय खर्चा उठाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले हफ्ते इंदौर में जैन महासमिति की बैठक में समुदाय की आबादी को लेकर ये बातें हुईं। दरअसल, आंकड़ों की मानें तो 2001 में जब देश की कुल आबादी 102 करोड़ थी तब जैन समुदाय के लोगों की संख्या 42 लाख थी। इसके बाद जब 2011 में जनगणना हुई तो देश की आबादी तो 120 करोड़ पहुंच गई लेकिन जैन आबादी 44 लाख रही। देश की कुल आबादी की बढ़ोतरी के अनुपात में जैन समुदाय की आबादी में इजाफा धीमा रहा।
हाल के नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार जैन समुदाय में औसत फर्टिलिटी रेट 1.2, हिंदुओं में 2.13 और मुस्लिमों में 2.6 है। इंदौर में दिगंबर जैनों की सर्वोच्च संस्था ने आह्मवान किया, 'हम दो हमारे तीन'। यंग जैन कपल्स से ज्यादा बच्चे पैदा करने की स्पष्ट अपील की गई। समिति ने घोषणा की कि जो दंपति ज्यादा बच्चे पैदा करेंगे उन्हें आर्थिक सहायता दी जाएगी और समुदाय में तलाक के मामलों को कम करने के लिए कपल्स को काउंसलिंग दी जाएगी।
समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक बड़जात्या ने कहा, ''हम चाहते हैं कि कपल्स इस बारे में सोचें। समिति ने तीसरे बच्चे की शिक्षा का खर्चा उठाने का फैसला किया है।'' उन्होंने कहा, ''युवा दंपति ज्यादा बच्चे क्यों पैदा नहीं करना चाहते हैं इसके पीछे कई करण हैं। उनमें से एक आर्थिक वजह है, इसलिए समुदाय के तौर पर अगर हम यह जिम्मेदारी ले सकते हैं तो हमें उन्हें ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।''
उन्होंने कहा कि समुदाय के संपन्न लोग जल्द साथ आकर उद्देश्य की पूर्ति के लिए फंड देंगे। ये रियायत दिगंबर जैनों के लिए लागू होगी, वहीं, दूसरे जैनों के लिए भी प्लान का विस्तार दिया जा सकता है। दरअसल, जैन धर्म की दो शाखाएं हैं, दिगंबर और स्वेताम्बर। समिति के एक और सदस्य जैनेश झंझारी ने कहा, ''जैन धर्म बहुत पुराना है और अगर समुदाय की अबादी घटती है तो नुकसान होगा।'' उन्होंने कहा कि यंग कपल्स को काउंसलिंग देने के लिए वर्कशॉप्स लगाई जा रही हैं ताकि समुदाय में तलाक के मामलों को रोका जा सके।