जहांगीरपुरी हिंसा: तेज हुई बुलडोजर पॉलिटिक्स, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली पुलिस ने पीड़ितों से मिलने से रोका
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 22, 2022 07:08 PM2022-04-22T19:08:15+5:302022-04-22T19:11:55+5:30
दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी में शुक्रवार को पीड़ितो से मिलने जा रहे तृणमूल और समाजवादी पार्टी के नेताओं को दिल्ली पुलिस ने रोक दिया है।
जहांगीरपुरी: हनुमान जयंती हिंसा के बाद दिल्ली नगर निगम द्वारा तनाव प्रभावित जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर चलाने की घटना अब सियासी रंग ले रही है।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को जहांगीरपुरी में जाकर पीड़ित परिवारों से मिलने से रोक दिया।
तृणमूल कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने पहले उन्हें गलत रास्ता बताया, बाद में जब वो पीड़ितों से मिलने मस्जिद की तरफ जा रहे थे तो उन्हें बीच में ही रोक दिया गया।
बताया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में पांच महिला सांसद थीं, जिनका नेतृत्व काकली घोष दास्तिकार कर रही थीं। तृणूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में दास्तिकार के अलावा शताब्दी रॉय, प्रातिमा मंडल, साजदा अहमद और अर्पिता घोष भी शामिल थीं।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगला की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कोलकाता में जहांगीरपुरी हिंसा को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था। ममता बनर्जी ने कहा था कि उनकी पार्टी लोगों को जोड़ने वाली है न कि तोड़ने वाली।
तृणमूल कांग्रेस की ही तरह समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को भी दिल्ली पुलिस ने बुलडोजर केस के पीड़ितों से नहीं मिलने दिया। समाजवादी पार्टी के नेता ज़ावेद अली खान ने केन्द्र की बीजेपी सरकार और दिल्ली पुलिस पर हमला करते हुए कहा कि पुलिस कुछ ऐसा छिपा रही है जो मीडिया में भी नहीं दिखाया गया है।
जावेद अली ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को पुलिस जनता से मिलने से नहीं रोक सकती लेकिन दिल्ली पुलिस ऐसा कर रही है। इससे साफ पता चलता है कि दिल्ली पुलिस निष्पक्ष नहीं है और केंद्र के इशारे पर काम कर रही है।
गौरतलब है कि हनुमान जयंती के मौके पर जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच हुई सांप्रदायिक झड़प के बाद भारतीय जनता पार्टी नियंत्रित उत्तरी नगर निगम ने 16 अप्रैल को अवैध अतिक्रमण हटाने की मुहिम शुरू की।
आरोप लग रहा है कि इस मुहिम के तहत दिल्ली नगर निगम के अतिक्रमण दस्ते ने कथित तौर पर एक मस्जिद के गेट को तोड़ दिया था लेकिन मस्जिद से चंद कदम के फासले पर मौजूद मंदिर के पास नहीं गये।
नगर निगम की ओर से इस मामले में तर्क दिया गया कि वहां पहुंचने से पहले ही अतिक्रमण दस्ते को सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिल गया था, जिसके कारण बुलडोजर की प्रक्रिया रोक दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगाने की याचिका जमीअत उलेमा-ए-हिन्द ने दाखिल की थी। कोर्ट में इस मामले की पैरवी कांग्रेस के नेता और वकील कपिल सिब्बल और दुष्यंत दवे ने की थी।