जम्मू-कश्मीर: बकरीद के मौके पर अनंतनाग में सेना के जवानों पर की गई पत्थरबाजी
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: August 22, 2018 09:35 AM2018-08-22T09:35:26+5:302018-08-22T14:33:06+5:30
पूरे देश में आज यानी बुधवार को बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है। ऐसे में आज के दिन भी जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाज हैं कि अपनी हरकतों से बाज नहीं आए हैं।
अनंतनाग, 22 अगस्त: पूरे देश में आज यानी बुधवार को बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है। ऐसे में आज के दिन भी जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाज हैं कि अपनी हरकतों से बाज नहीं आए हैं। खबरों की मानें तो अनंतनाग में आज पत्थरबाजों ने पत्थरबाजी की है।
इन पत्थरबाजों ने आज सुबह सेना के जवानों को अपना निशाना बनाया है और जमकर पत्थरबाजी की है। जिसके बाद सेना ने इन पर जवाबी कार्यवाही की है और आंसू गोले आदि इन पर छोड़े गए हैं। बकरीद के दिन भी पत्थरबाज इस तरह की घटना को अंजाम दे सकते हैं इसका किसी को भरोसा नहीं था। फिर भी सेना से स्थिति को संभाल लिया और पत्थरबाजी को रोक दिया है। गौरबतल है कि कश्मीर में आए दिन पत्थरबाज सेना के जवानों को अपना निशाना बनाते रहते हैं। बताया जा रहा है कि ईद की नमाज अदा करने से पहले यह हंगामा हुआ है। वहीं, इससे पहले अनंतनाग में ही स्पोर्टस फेस्टिवल के दौरान पत्थरबाजी की गई। इस दौरान कई छात्र घायल हुए थे।
वहीं, पूरा मुस्लिम समुदाय इन दिनों देश और जीवन में शांति और अमन की दुआ कर रहा है तो वहीं देश की छोटी-बड़ी हर मस्जिदों पर लोगों की भीड़ भी देखी जा रही है। ईद-उल-फितर यानी मीठी ईद के बाद मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार बकरीद आज पूरे देश में मनाया जाएगा। लोग अपने परिवार के साथ पड़ोसियों और रिश्तेदारों को इसकी बंधाइयां दें रहे हैं। इस कड़ी में देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत कई बड़े राजनेताओं ने भी लोगों को बकरीद की शुभकामनाएं दी हैं
बकरीद को मनाने की सबसे प्रचलित कहानियों पर गौर करें तो बताया जाता है कि एक बार खुदा ने हजरत इब्राहिम का इम्तहान लेने के लिए उनसे उनकी सबसे करीबी और अजीज चीज की कुर्बानी मांगी थी। जिसके बाद हजरत ने अपने बेटे की कुर्बानी देने की ठान ली। आंख पर पट्टी बांधकर उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी दे भी डाली। मगर अब तक वह खुदा के इम्तेहान में पास हो गए थे। तो खुदा ने उनके बेटे को जानवर में बदलकर जिंदा कर दिया। बस तभी से बकरीद का ये त्योहार मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पवित्र माना जाने लगा।