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नेताओं के वेतन पर उठाया मुद्दा तो PMO से आया फोन: वरुण गांधी

By भाषा | Updated: October 24, 2018 05:52 IST

वरूण गांधी ने कहा कि हर साल शिक्षा पर कहने के 3 लाख करोङ रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन 89 फीसदी पैसा भवनों पर खर्च होता है जिसे शिक्षा नहीं कह सकते। उन्होने कहा कि आज देश में साढे पांच लाख शिक्षकों की कमी है जिसे देश के सभी पोस्ट ग्रेजुएट एक साल मुफ्त पढा कर एक झटके में पूरा कर सकते हैं।

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सांसद वरुण गांधी ने मंगलवार को खुलासा किया कि जब उन्होंने सांसदों की संपत्ति और वेतन वृद्धि को लेकर सवाल उठाए तो उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से फोन आया और कहा गया कि "आप हमारी मुसीबत क्यों बढ़ा रहे हैं।" 

सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी ने यहां आदर्श महिला कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि " वह बार-बार सांसदों के वेतन में वृद्धि और संपत्ति का ब्योरा नहीं देने को लेकर आवाज उठाते हैं। हर वर्ग के कर्मचारी अपनी मेहनत और ईमानदारी के हिसाब से वेतन बढ़वाते हैं, लेकिन पिछले 10 सालों में सांसदों ने अपना वेतन 7 बार केवल हाथ उठवाकर बढ़वा लिया।"

मैने जब यह मुद्दा उठाया तो एक बार पीएमओ से फोन आया कि क्यों आप हमारी मुसीबतें बढ़ा रहे हैं। वरुण गांधी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री के आभारी है कि उन्होंने इस मुद्दे पर कदम उठाया। अब सांसदों का वेतन केवल हाथ उठाने से नहीं बढ़ेगा, बल्कि संसदीय समिति तय करेगी।

देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए गांधी ने यूपी के स्कूलों का उदाहरण दिया। उन्होने कहा कि "यूपी के स्कूलों में शिक्षा के अलावा सभी कार्यक्रम होते हैं। उन्होने कहा कि यूपी के स्कूलों में आज धार्मिक व शादी के कार्यक्रम होते हैं, अंतिम संस्कार के बाद की क्रिया यहीं पूरी की जाती है, बच्चे क्रिकेट खेलते हैं और नेता स्कूलों में भाषण देने आते हैं।" 

वरूण गांधी ने कहा कि हर साल शिक्षा पर कहने के 3 लाख करोङ रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन 89 फीसदी पैसा भवनों पर खर्च होता है जिसे शिक्षा नहीं कह सकते। उन्होने कहा कि आज देश में साढे पांच लाख शिक्षकों की कमी है जिसे देश के सभी पोस्ट ग्रेजुएट एक साल मुफ्त पढा कर एक झटके में पूरा कर सकते हैं।

वरूण गांधी ने कहा कि आज देश में 40 फीसदी किसान ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं, जो गैरकानूनी है। क्योंकि ऐसे किसानों को ना तो सरकार की कोई मदद मिलती, ना ऋण मिलता और ना फसल बर्बाद होने पर मुआवजा मिलता। उन्होने कहा कि पिछले 10 सालों में किसानों की फसलों पर लागत तीन गुना बढी है, जिससे परेशान होकर विदर्भ के 17 हजार किसानों ने आत्महत्या की। 

उन्होंने देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि जब तक पारदर्शिता नहीं आएगी तब तक इस पर रोक नहीं लग सकती। उन्होंने देश में बढते प्रदुषण को भी खतरनाक बताया और कहा कि किसी को फूलों का गुलदस्ता देने की बजाय पौधा दें और उसे लगाएं। ताकि दोबारा मुलाकात पर वो पौधा पेड बनकर रिश्तों को मजबूती दे। 

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