इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने कहा- दंडमुक्ति की इस संस्कृति के कारण मैं अत्यंत दुखी हूं, मेरा जज्बा टूट गया, सुनवायी में नहीं लेना चाहती भाग

By भाषा | Published: October 1, 2019 05:28 PM2019-10-01T17:28:08+5:302019-10-01T17:28:08+5:30

विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश आर के चूडावाला पुलिस महानिरीक्षक जी एल सिंघल, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट, पूर्व पुलिस उपाधीक्षक जे जी परमार और सहायक सब इंस्पेक्टर अनाजु चौधरी समेत चार आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा आरोप मुक्त करने के लिए दायर अर्जियों पर सुनवाई कर रहे हैं।

Ishrat Jahan's mother Shamima Kausar said - I am very sad due to this culture of maltreatment, my spirit is broken, I do not want to participate in the hearing | इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने कहा- दंडमुक्ति की इस संस्कृति के कारण मैं अत्यंत दुखी हूं, मेरा जज्बा टूट गया, सुनवायी में नहीं लेना चाहती भाग

15 से अधिक साल बीत गए लेकिन पुलिस अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं।

Highlightsकौसर ने कहा कि वह अदालत की कार्यवाही से दूरी बना रही हैं।केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से आरोपियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करने का अनुरोध करती हैं।

गुजरात पुलिस की कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गयी इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने मंगलवार को यहां एक विशेष सीबीआई अदालत में कहा कि वह अब इस मामले की सुनवाई में भाग नहीं ले सकती क्योंकि न्याय के लिए इतनी लंबी लड़ाई के बाद वह ‘‘नाउम्मीद और बेबस’’ महसूस करती हैं।

विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश आर के चूडावाला पुलिस महानिरीक्षक जी एल सिंघल, पूर्व डीएसपी तरुण बरोट, पूर्व पुलिस उपाधीक्षक जे जी परमार और सहायक सब इंस्पेक्टर अनाजु चौधरी समेत चार आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा आरोप मुक्त करने के लिए दायर अर्जियों पर सुनवाई कर रहे हैं।

कौसर ने अदालत को एक पत्र लिखकर कहा, ‘‘दंडमुक्ति की इस संस्कृति के कारण मैं अत्यंत दुखी हूं, मेरा जज्बा टूट गया।’’ कौसर ने कहा कि वह अदालत की कार्यवाही से दूरी बना रही हैं और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से आरोपियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करने का अनुरोध करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘न्याय के लिए इतनी लंबी लड़ाई के बाद अब मैं नाउम्मीद और बेबस महसूस करती हूं। 15 से अधिक साल बीत गए लेकिन पुलिस अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं। मेरी बेटी की हत्या के मुकदमे का सामना करने के बावजूद कुछ को तो गुजरात सरकार ने बहाल कर दिया।’’

उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी निर्दोष थी और एक ‘‘भयानक आपरााधिक षडयंत्र’’ के चलते उसकी हत्या की गई और यह साजिश इसलिए की गई क्योंकि वह एक मुस्लिम महिला थी तथा उसे घातक आतंकवादी बताकर राजनीतिक हित साधा गया।

कौसर ने कहा, ‘‘मैंने अपनी वकील वृंदा ग्रोवर को बता दिया है कि अब लड़ने की मेरी इच्छा खत्म हो गयी है और वह सीबीआई अदालत में सुनवायी में भाग नहीं लेना चाहती। इतनी लंबी और पेचीदा न्याय प्रक्रिया ने मुझे थका और परेशान कर दिया है।’’

उन्होंने कहा कि अपनी बेटी के लिए न्याय के उनके संघर्ष में उन्होंने पाया कि वह गुजरात के कुछ बहुत शक्तिशाली पुलिस अधिकारियों का सजा दिलाना चाहती है जो सेवा में है और जिन्हें राज्य का संरक्षण हासिल है। उन्होंने कहा, ‘‘कई कमजोर मासूम नागरिकों की जान बचाने के लिए दंडमुक्ति की इस संस्कृति को मिटाने की जरूरत है। यह केवल मेरी लड़ाई नहीं हो सकती। यह देखना अब सीबीआई का काम है कि दोषियों को सजा मिले।’’

कौसर ने कहा कि उनकी बेटी की ‘‘निर्मम हत्या’’ को ‘‘गलत और दुर्भावनापूर्ण तरीके से मुठभेड़ हत्या दिखाया गया तथा उसे बदनीयती से आतंकवादी बताया गया।’’ गौरतलब है कि गुजरात पुलिस के 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मुंबई के समीप मुंब्रा की रहने वाली 19 वर्षीय महिला इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रनेश पिल्लई, अमजदअली अकबरअली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे।

पुलिस ने दावा किया था कि इनके लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों से संपर्क थे। सीबीआई ने अगस्त 2013 में सात लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था और फरवरी 2014 में चार और लोगों के खिलाफ अनुपूरक आरोपपत्र दायर किया था। 

Web Title: Ishrat Jahan's mother Shamima Kausar said - I am very sad due to this culture of maltreatment, my spirit is broken, I do not want to participate in the hearing

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