किसान आंदोलन को लेकर भारतीय किसान संघ की आशंका सही साबित होने जा रही है?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 12, 2020 11:21 AM2020-12-12T11:21:07+5:302020-12-12T11:23:47+5:30
भारतीय किसान संघ की ही तीन प्रमुख मांगे हैं, एक- खरीद को एमएसपी के साथ जोड़ा जाए, दो- ट्रेडर्स का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए और तीन- एग्रीकल्चर कोर्ट बननी चाहिए
करीब दो हफ्ते पहले आरएसएस के किसान संगठन भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी दिनेश कुलकर्णी ने आशंका जताई थी कि केंद्र सरकार को जल्दी से जल्दी किसानों की मांगें पूरी करनी चाहिए, क्योंकि अगर सरकार ने जल्दी ही कोई कदम नहीं उठाया तो राजनीतिक दल किसानों का इस्तेमाल कर लेंगे.
यह साफ होता जा रहा है कि अब भी यदि केन्द्र सरकार ने किसान आंदोलन को गंभीरता से लेकर तत्काल कृषि कानून रद्द नहीं किए तो यह आंदोलन विपक्ष के खेमे में चला जाएगा. पीएम मोदी सरकार बार-बार यह समझाने की कोशिश कर रही है कि कृषि कानून किसानों के हित में हैं, लेकिन उनके अपने किसान संगठन ही यह मानने को राजी नहीं हैं.
भारतीय किसान संघ की ही तीन प्रमुख मांगे हैं, एक- खरीद को एमएसपी के साथ जोड़ा जाए, दो- ट्रेडर्स का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए और तीन- एग्रीकल्चर कोर्ट बननी चाहिए.
यही नहीं, भारतीय किसान संघ का यह भी कहना था कि- किसानों का दर्द वास्तविक है इसलिए हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्दी से जल्दी कदम उठाया जाए. सरकार ने कानून तो बना दिया लेकिन किसानों को एमएसपी की गारंटी नहीं मिल रही है.
यदि सरकार जल्दी नहीं करेगी तो राजनीतिक लोग किसानों का इस्तेमाल कर लेंगे क्योंकि किसानों का दर्द वास्तविक है. किसानों के मन में आशंकाएं हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता.
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन न केवल लगातार जारी है बल्कि उसका आकार भी बढ़ता जा रहा है. किसानों और सरकार की यह लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. भारतीय किसान यूनियन ने तीनों कृषि बिलों को शुक्रवार को कोर्ट में चैलेंज करते हुए कहा कि इन कानूनों के चलते किसान कॉरपोरेट लालच के आगे कमजोर होंगे.
इधर, किसान पहले ही यह ऐलान कर चुके हैं कि अब देशभर में ट्रेनें रोकेंगे, तो उधर, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर कहा है कि किसानों को विरोध छोड़कर बातचीत करनी चाहिए, हम इसके लिए तैयार हैं!