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IPC, CrPC & Evidence Act: शाह ने कहा- नए बिल में महिलाओं-बच्चियों के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए दंड का कठोर प्रावधान, देखें वीडियो

By सतीश कुमार सिंह | Updated: August 11, 2023 20:16 IST

IPC, CrPC & Evidence Act: ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नए विधेयक पेश किये और कहा कि अब राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है।

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ठळक मुद्देभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश किया।तीनों विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा ताकि इन पर व्यापक विचार-विमर्श हो सके। शाह ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र है, सभी को बोलने का अधिकार है।’’

IPC, CrPC & Evidence Act: गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नए विधेयक पेश किये और कहा कि अब राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है।

शाह ने कहा कि  भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय साक्ष्य बिल और भारतीय नागरिक सुरक्षा बिल में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए दंड को और अधिक कठोर करने के प्रावधान किए गए हैं। शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश किया।

विवाह, रोजगार या पदोन्नति के बहाने अथवा पहचान छिपाकर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 20 साल की कैद या उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में अधिकतम मृत्युदंड का प्रावधान भी है। गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ‘शून्य प्राथमिकी’ की प्रणाली ला रही है जिसके तहत देश में कहीं भी अपराध हो, उसकी प्राथमिकी ‘‘हिमालय की चोटी से कन्याकुमारी के सागर तक कहीं से भी दर्ज कराई जा सकती है।’’

उन्होंने कहा कि संबंधित थाने को 15 दिन के अंदर शिकायत भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार ई-प्राथमिकी की व्यवस्था शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि अब प्रत्येक जिले में एक पुलिस अधिकारी नामित होगा जो हिरासत में लिये गये आरोपियों के परिजनों को इस बात का प्रमाणपत्र देगा कि ‘‘आपके परिजन हमारी गिरफ्त में हैं’’।

शाह ने कहा कि अब पुलिस को परिजनों को ऑनलाइन और व्यक्तिगत सूचना देनी होगी। उन्होंने कहा कि यौन हिंसा और उत्पीड़न के मामले में पीड़िता का बयान और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी। शाह ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने और सुनवाई में देरी रोकने के लिए तीन साल से कम कारावास वाले मामलों में ‘त्वरित सुनवाई’ (समरी ट्रायल) की प्रणाली शुरू की जाएगी जिससे सत्र अदालतों में 40 प्रतिशत तक मामले कम हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि अब पुलिस को 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दायर करना होगा जिसे अदालत 90 दिन और बढ़ा सकती है। शाह ने कहा कि पुलिस को अधिकतम 180 दिन में जांच समाप्त करनी होगी। उन्होंने कहा कि अदालतें अब फैसलों को सालों तक लंबित नहीं रख सकतीं, सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत को 30 दिन के अंदर फैसला सुनाना होगा और इसे एक सप्ताह के अंदर ऑनलाइन अपलोड करना होगा।

शाह ने कहा कि सात साल या अधिक कारावास की सजा वाले अपराध के मामले में पीड़ित का पक्ष सुने बिना कोई सरकार मामले को वापस नहीं ले सकेगी। उन्होंने कहा कि इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि नये कानूनों के तहत यह सरकार पहली बार शादी, रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके महिलाओं से यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में ला रही है।

टॅग्स :अमित शाहसंसद मॉनसून सत्रभारत सरकार
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