INX Media Case: पी. चिदंबरम ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा- अपराध गंभीर प्रकृति के नहीं, जमानत दी जाए

By भाषा | Published: September 25, 2019 08:56 PM2019-09-25T20:56:33+5:302019-09-25T20:56:33+5:30

कांग्रेस के 74 वर्षीय वरिष्ठ नेता की जमानत याचिका का सीबीआई ने विरोध किया। जांच एजेंसी ने लिखित जवाब में कहा है कि यह ‘‘आर्थिक अपराध का गंभीरतम मामला है’’ और उन्हें कोई राहत नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि उन्होंने वित्तीय धोखाधड़ी की है और अपने पद का दुरुपयोग किया है।

INX Media Case: P Chidambaram to High Court: Crimes are not of serious nature, bail should be granted | INX Media Case: पी. चिदंबरम ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा- अपराध गंभीर प्रकृति के नहीं, जमानत दी जाए

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम। (फाइल फोटो)

Highlightsचिदंबरम के लिए सिंघवी के अलावा कपिल सिब्बल, दया कृष्णन और ए एस चांडियोक सहित कई वकील पेश हुए। सीबीआई ने लिखित जवाब में कहा है, ‘‘कानून यह है कि अपराध की गंभीरता का उसके लिए दिए जाने वाले दंड से कोई लेना-देना नहीं है। अपराध की गंभीरता का आकलन उसका समाज, अर्थव्यवस्था, वित्तीय स्थिरता और देश की एकता पर पड़ने वाले असर से होता है।’’

आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किए गए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि उनके खिलाफ लगे ठगी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप गंभीर प्रकृति के नहीं हैं और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। उनके वकील ने अदालत से कहा कि जिन अपराधों में चिदंबरम पर मामला दर्ज किया गया है उनमें अधिकतम सात वर्ष जेल की सजा हो सकती है।

चिदंबरम की जमानत याचिका पर न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने सुनवाई की और मामले में अगली सुनवाई का दिन शुक्रवार तय किया जब सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता सीबीआई की तरफ से तर्क पेश करेंगे।

चिदंबरम का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व फैसले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जिन आपराधिक मामलों में कैद की सजा सात वर्ष से अधिक नहीं होती, उनमें आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए और अदालत को उनको तब तक रिमांड पर नहीं भेजना चाहिए जब तक उनमें वर्णित शर्तें पूरी नहीं कर ली जाती हैं।

कांग्रेस के 74 वर्षीय वरिष्ठ नेता की जमानत याचिका का सीबीआई ने विरोध किया। जांच एजेंसी ने लिखित जवाब में कहा है कि यह ‘‘आर्थिक अपराध का गंभीरतम मामला है’’ और उन्हें कोई राहत नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि उन्होंने वित्तीय धोखाधड़ी की है और अपने पद का दुरुपयोग किया है।

सीबीआई ने लिखित जवाब में कहा है, ‘‘कानून यह है कि अपराध की गंभीरता का उसके लिए दिए जाने वाले दंड से कोई लेना-देना नहीं है। अपराध की गंभीरता का आकलन उसका समाज, अर्थव्यवस्था, वित्तीय स्थिरता और देश की एकता पर पड़ने वाले असर से होता है।’’

चिदंबरम के बेटे कार्ति ने अदालत के मंगलवार के निर्देश के मुताबिक हलफनामा दायर किया। अदालत ने उन्हें निर्देश दिया था कि कंपनी को एफआईपीबी मंजूरी देने से जुड़े कुछ सरकारी दस्तावेजों के स्रोत का खुलासा करें जिसका जिक्र उनके वकील ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान किया था।

अदालत ने मंगलवार को सोलीसीटर जनरल की आपत्ति का संज्ञान लेते हुए हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए थे कि चिदंबरम के वकीलों को उन स्रोतों का खुलासा करना चाहिए कि उन्हें सरकारी दस्तावेज कहां से मिले।

चिदंबरम के लिए सिंघवी के अलावा कपिल सिब्बल, दया कृष्णन और ए एस चांडियोक सहित कई वकील पेश हुए। चिदंबरम को 21 अगस्त को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने नियमित जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया और सीधे उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की।

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