आज (5 जुलाई) इंटरनेशनल बिकिनी डे (International Bikini Day) है। आज की तारीख में हर कोई बिकिनी से वाकिफ है, लेकिन बिकिनी को दुनिया के सामने सबसे पहले पेरिस के फैशन डिजाइनर लुईस रियर्ड ने रूबरू करवाया था। बिकिनी नाम पड़ने के पीछे एक दिलचस्प किस्सा है। आइए जानते हैं बिकिनी डे से जुड़ी कुछ खास बातें...
बिकिनी का नाम 'बिकिनी' क्यों पड़ा
बिकिनी का नाम अमेरिका के ‘बिकिनी अटोल' नामक जगह से लिया गया है। इसी जगह अमेरिका ने प्रशांत महासागर के बिकिनी एटोल द्वीप पर हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया था। यहीं से इसका नाम पड़ा 'बिकनी'। बिकनी से पहले इसका नाम 'एटम' था, क्योंकि उस दौरान दुनियाभर में न्यूक्लियर फिजिक्स के प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ रही थी और कई जगह एटम बम के टेस्टिंग भी हो रहे थे। .
क्यों बनाई गई बिकिनी
दरअसल, बिकिनी बनाने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। बताया जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यूरोप में हर चीज की कमी हो रही थी। सारा पैसा युद्ध में खर्च हो रहे थें। इससे कपड़ा भी कम हो रहा था। इस दौरान अमेरिका ने औरतों के स्विमसूट के कपड़ों में कमी करने का निर्देश दिया। इसके बाद डिजाइनर ने बिकिनी का बनाई, जो फैशनेबल हो और औरतें इसे खरीद सकें। सबसे पहली बिकिनी मैकेनिकल इंजीनियर लुई रियर्ड ने बनाई थी।
बॉलीवुड में बिकिनी का चलन
जब लुईस रियर्ड ने सबसे पहले बिकिनी बनाई तो मिशेलाइन नाम की मॉडल ने इसे सबसे पहना और सार्वजनिक किया। मिशेलाइन 19 साल की थीं। अगर बात बॉलीवुड की करें तो सबसे पहले बिकिनी में दिखीं थी शर्मिला टैगोर। इस दौरान पूरे देश में तहलका मच गया। क्योंकि यह भारत में बिकिनी फैशन को नया दौर था। शर्मीला टैगोर ने 1967 में आई फिल्म ‘इवनिंग इन पेरिस’ में बिकिनी में नजर आई थी।