संस्थान शुल्क के बारे में निर्णय कर सकते हैं, लेकिन मुनाफाखोरी न हो: न्यायालय
By भाषा | Published: February 25, 2021 08:55 PM2021-02-25T20:55:51+5:302021-02-25T20:55:51+5:30
नयी दिल्ली, 25 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि गैर सहायता प्राप्त व्यावसायिक संस्थानों को शुल्क वसूलने के बारे में फैसला करने का अधिकार है, लेकिन शर्त यह है कि इसका परिणाम मुनाफाखोरी के रूप में नहीं निकलना चाहिए।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए संस्थानों के शुल्क तय करने का अधिकार नियमन से जुड़ा विषय है।
पीठ की यह टिप्पणी केरल के निजी स्व-वित्तीय मदद वाले मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति द्वारा शुल्क तय किए जाने से संबंधित अपीलों पर आई।
शीर्ष अदालत ने कहा कि गैर सहायता प्राप्त संस्थानों को शुल्क तय करने की स्वायत्तता है, लेकिन शर्त यह है कि इसका परिणाम मुनाफाखोरी के रूप में नहीं निकलना चाहिए।
इसने कहा, ‘‘शुल्क नियमन समिति के अधिकार क्षेत्र में है जो सुनिश्चित करेगी कि शुल्क वाजिब और गैर-शोषणकारी हो।
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