महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की पहल, विदेशी अधिकारियों को हिंदी सीखा रहा है विश्वविद्यालय

By फहीम ख़ान | Published: November 17, 2022 04:56 PM2022-11-17T16:56:23+5:302022-11-17T17:03:49+5:30

भारत का बढ़ता हुआ बाजार और भारत की युवाशक्ति इन दोनों ही कारणों से अब हिंदी को कूटनीतिक भाषा के रूप में विकसित किया जा रहा है।

Initiative of Mahatma Gandhi International Hindi University, Wardha, university is teaching Hindi to foreign officials | महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की पहल, विदेशी अधिकारियों को हिंदी सीखा रहा है विश्वविद्यालय

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की पहल, विदेशी अधिकारियों को हिंदी सीखा रहा है विश्वविद्यालय

Highlightsभूटान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के अधिकारी सीख चुके हैं हिंदीनेपाल और बर्मा के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है कार्यक्रमजापान-चीन के साथ हिंदी में सीखने -सिखाने के कार्यक्रम की भी हो चुकी है शुरुआत

नागपुर: विश्व में हिंदी की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। भारत का बढ़ता हुआ बाजार और भारत की युवाशक्ति इन दोनों ही कारणों से अब हिंदी को कूटनीतिक भाषा के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह पहल की है वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ने। कूटनीतिक भाषा के रूप में दूसरे देशों के राजनयिक और अधिकारियों को हिंदी सिखाने का यह कार्यक्रम रंग लाता दिख रहा है।

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने लोकमत समाचार से बातचीत के दौरान बताया कि विश्वविद्यालय ने एक योजना बनाई थी और विदेश मंत्रालय तथा देश के सांस्कृतिक संबंध मंत्रालय के साथ डिप्लोमेट को हिंदी सिखाने का कार्यक्रम बनाया था। इसे कुल 10 देशों के साथ करने की योजना है। अभी तक विश्वविद्यालय तीन देशों के साथ यह कार्यक्रम कर चुका है। इनमें भूटान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं।

भूटान के पर्यटन विभाग के अधिकारी और अन्य अधिकारियों को हिंदी सिखाई गई है। इसके अलावा उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के भी अधिकारियों को हिंदी सिखाई गई है। आने वाले समय में नेपाल और बर्मा के साथ यह कार्यक्रम आगे बढ़ाया जाएगा। जापान और चीन के साथ हिंदी में ऑनलाइन सिखाने के कार्यक्रम को पिछले साल ही शुरू किया गया है। वहां के विद्यार्थी बड़ी संख्या में हिंदी सीख रहे हैं।

अरबी और मंडेरियन के मुकाबले ज्यादा मजबूत होगी हिंदी

इस विश्वविद्यालय की यह उपलब्धि रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उज्बेकिस्तान यात्रा के दौरान द्विभाषिक के रूप में उज्बेकिस्तान के पांच प्रोफेसर कार्यरत थे। उन सभी ने वर्धा के विश्वविद्यालय से हिंदी सीखी थी। प्रधानमंत्री ने इस पर जोर देने के लिए इंडियन मिशन को भी कहा है ताकि दो देशों के बीच उनकी अपनी भाषा में ही सहजता से बात हो सके। आने वाले दिनों में हिंदी, अरबी और मंडेरियन (चीनी भाषा) की अपेक्षा ज्यादा मजबूत अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक भाषा के तौर पर विकसित होती दिखाई देगी, ऐसा विश्वास भी प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने जताया है।

Web Title: Initiative of Mahatma Gandhi International Hindi University, Wardha, university is teaching Hindi to foreign officials

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