भारत-चीन सीमा पर तनावः लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ कभी रुकी नहीं, सबसे पहले 1999 में की थी

By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 4, 2020 05:57 PM2020-06-04T17:57:37+5:302020-06-04T17:57:37+5:30

चीनी सेना की घुसपैठ तथा भारतीय गडरियों व किसानों को धमकाने की खबरें पहली बार 1993 में उस समय बाहर आई थीं जब लद्दाख में फेस्टिवल का आयोजन किया गया था और लोगों को चीन सीमा से सटे इलाकों तक जाने की अनुमति दी गई थी।

Indo-China border Jammu and Kashmir Tension Infiltration of Chinese troops in Ladakh never stopped, first in 1999 | भारत-चीन सीमा पर तनावः लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ कभी रुकी नहीं, सबसे पहले 1999 में की थी

भारतीय सेना ने भी चीन की सीमा पर गश्त बढ़ाने का फैसला किया था।

Highlightsइससे पहले होने वाली घुसपैठ तथा अत्याचारों की घटनाओं को सिर्फ सरकारी रिकार्ड में ही दर्ज कर लिया जाता था।चीन सीमा पर होने वाली घुसपैठ व भारतीय सैनिकों व किसानों को धमकाने की खबरें कई कई महीनों के बाद लेह मुख्यालय में मिला करती थीं।

जम्मूः लद्दाख सेक्टर में चीनी सेना की घुसपैठ कभी रूक नहीं पाई है। यह 1962 के चीनी हमले के बाद से आज भी जारी है। इतना जरूर है कि चीनी सेना की घुसपैठ तथा भारतीय गडरियों व किसानों को धमकाने की खबरें पहली बार 1993 में उस समय बाहर आई थीं जब लद्दाख में फेस्टिवल का आयोजन किया गया था और लोगों को चीन सीमा से सटे इलाकों तक जाने की अनुमति दी गई थी।

इससे पहले होने वाली घुसपैठ तथा अत्याचारों की घटनाओं को सिर्फ सरकारी रिकार्ड में ही दर्ज कर लिया जाता था। चीन सीमा पर होने वाली घुसपैठ व भारतीय सैनिकों व किसानों को धमकाने की खबरें कई कई महीनों के बाद लेह मुख्यालय में मिला करती थीं।

यह भी सच है कि पहली बार लेह फेस्टिवल में शामिल पत्रकारों को पैंगांग झील समेत चीन सीमा से सटे इलाकों का दौरा करने की अनुमति दी गई तो उसके बाद ही भारतीय सेना ने भी चीन की सीमा पर गश्त बढ़ाने का फैसला किया था वरना इन इलाकों में भारतीय सैनिक यदाकदा ही नजर आते थे पर चीनी सैनिक नियमित रूप से गश्त करते थे और आए दिन भारतीय इलाके पर अपना कब्जा दर्शाने की हरकतें किया करते थे।

लेह स्थित प्रशासनिक अधिकारी मानते हैं कि चीन अक्साई चीन से लगे इलाकों पर भी अपना कब्जा दर्शाते हुए वहां पर कब्जा जमाना चाहता है। इसी प्रकार लेह स्थित 14वीं कोर में तैनात कुछ सेनाधिकारियों के बकौल, चीन की बढ़ती हिम्मत का जवाब देने के लिए लद्दाख के मोर्चे पर फौज व तोपखानों की तैनाती में तेजी आई है लेकिन कोशिश यही है कि मामला राजनीतिक स्तर व बातचीत से सुलझ जाए।

हालांकि भारतीय सेनाध्यक्ष कहते थे कि भारतीय सेना चीन की हरकतों का जवाब देने में पूरी तरह से सक्षम हैं पर मिलने वाली खबरें कहती हैं कि करगिल युद्ध को 21 साल बीत जाने के बावजूद भी ऐसे इलाकों में हमले से निपटने को जरूरी सैनिक साजो सामान की सप्लाई अभी भी कछुआ चाल चल रही है। इतना जरूर था कि करगिल युद्ध में विजेता रही बोफोर्स तोपों पर अब भारतीय जवानों को नाज जरूर है जिनकी अच्छी खासी संख्या को चीन सीमा पर तैनात किया जा चुका है।

लद्दाख की जनता के मुताबिक, केंद्र सरकार को चीन की हरकतों को गंभीरता से लेना चाहिए। मिलने वाली खबरें इसकी भी पुष्टि करती हैं कि चीन ने भारतीय इलाकों से सटे अपने इलाकों में अपने नागरिकों को भी बसा रखा है और वे भारतीय जमीन का भी इस्तेमाल खुल कर कर रहे हैं।

हालांकि स्वतंत्र तौर पर इन खबरों की पुष्टि नहीं हो पाई थी। पर भारतीय सेना अपने नागरिकों को चीन सीमा के पास भी फटकने की इजाजत नहीं देती है जिस कारण उस पार से होने वाली नापाक हरकतों की खबरें बहुत देर से मिलती हैं।

Web Title: Indo-China border Jammu and Kashmir Tension Infiltration of Chinese troops in Ladakh never stopped, first in 1999

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