नयी दिल्ली, चार जनवरी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम देश की पहली क्षेत्रीय त्वरित परिवहन प्रणाली (आरआरटीएस) के लिए स्वदेशी डिज़ाइन वाली विशेष पटरियों (बैलास्टलेस) का उपयोग करेगा जिस पर तेज रफ्तार से ट्रेनें चल सकेंगी। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के एक अधिकारी ने कहा कि ये पटरियां 180 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से चलने वाली हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए अनुकूल होंगी और इनके रखरखाव की आवश्यकता भी कम होती है।
इन पटरियों का उपयोग सबसे पहले दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस गलियारे के तहत 17 किलोमीटर लंबे साहिबाबाद-दुहाई खंड पर किया जाएगा। यह खंड 2023 तक चालू होगा जबकि 82 किलोमीटर लंबा पूरा गलियारा 2025 तक पूरा होगा।
भारत के पहला आरआरटीएस गलियारे का निर्माण गाजियाबाद, दुहाई और मोदी नगर के रास्ते दिल्ली से मेरठ के बीच किया जा रहा है। दिल्ली से मेरठ आने-जाने में अभी सड़क मार्ग से तीन-चार घंटे लगते हैं और इस गलियारे के बन जाने से यह दूरी एक घंटे से भी कम समय में तय की जा सकेगी।
निगम ने कहा कि दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस गलियारे के लिए ‘ट्रैक स्लैब’ कारखाने का निर्माण हाल ही में शताब्दी नगर कास्टिंग यार्ड में शुरू हुआ है और इसके 180 दिनों के अंदर पूरा हो जाने की उम्मीद है।
इस कारखाने में 17 किलोमीटर लंबे प्राथमिकता वाले हिस्से के लिए ‘ट्रैक स्लैब’ का उत्पादन शुरू होगा। इस खंड में चार स्टेशन - साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर और दुहाई होंगे।
निगम के मुख्य जन संपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) पुनीत वत्स ने कहा कि भारत की पहली आरआरटीएस की प्रमुख तकनीकी विशेषताओं में से एक इसकी पटरियां हैं। इन पटरियों पर 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चल सकती हैं। पहली बार ऐसी पटरियों का भारत में उपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस गलियारे के लिए काम जोरों पर चल रहा है और साहिबाबाद तथा दुहाई के बीच के 17 किलोमीटर लंबे प्राथमिकता वाले खंड को 2023 तक चालू करने का लक्ष्य है।
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